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अक्षय तृतीया 2021, 15मई को रथ-निर्माण, 15मई को तथा चंदनयात्राः2021, 15मई को कोरोना संक्रमण के चलते श्रीमंदिर सिंहद्वार से लेकर नरेन्द्र तालाब तक लगातार 21 दिनों तक लागू रहेगा 144 धारा

भुवनेश्वरः13मईःअशोक पाण्डेय

श्रीमंदिर मादला पंजी के अनुसार 2021 की अक्षय तृतीया 15मई को है। भगवान जगन्नाथ की विश्वप्रसिद्ध रथयात्रा के लिए नये रथ-निर्माण का आरंभ 15मई से है।जगन्नाथ भगवान की विजय प्रतिमा मदनमोहन आदि की चंदनयात्रा भी 15 मई से आरंभ हो रही है । कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के चलते स्थानीय पुलिस प्रशासन की देखरेख में श्रीमंदिर सिंहद्वार से लेकर नरेन्द्र तालाब तक  लगातार 21 दिनों तक चंदन यात्रा के लिए लागू रहेगा 144 धारा ।पुरी जिलाधीश श्री समर्थ वर्मा,सीडीएमओ डा सुजाता मिश्रा तथा पुरी पुलिस अधीक्षक श्री के.विशाल सिंह द्वारा मिली जानकारी के अनुसार अक्षय तृतीया, रथ-निर्माण तथा चंदनयात्रा के सफल आयोजन से जुडी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

चंदनयात्राः2021

जैसाकि विदित है कि अक्षय तृतीया के दिन से ही जगन्नाथ की विश्वप्रसिद्ध रथयात्रा के लिए पुरी के गजपति महाराज के राजमहल श्रीनाहर स्थित रखखला में श्रीमंदिर के पूरे विधि-विधान से नये रथ के निर्माण का कार्य आरंभ होता है वहीं जगन्नाथ भगवान की विजयप्रतिमा मदनमोहन आदि की चंदनयात्रा भी चंदनतालाब में 21दिनों के लिए अनुष्ठित होती है जिसे बाहरी चंदनयात्रा कहते हैं।इस यात्रा हेतु जगन्नाथ भगवान की विजय प्रतिमा मदनमोहन,रामकृष्ण,लक्ष्मी,सरस्वती,बलराम,मार्कण्डेय,

नीलकण्ठ ,कपालमोचन और जंबेश्वर को प्रतिदिन अपराह्न बेला में श्रीमंदिर के जातभोग के उपरांत पालकी विमान में बैठाकर परम्परागत बनाटी कौशल,तलवारचालन,पाईकनृत्य तथा श्रीजगन्नाथ भजन-कीर्तन के साथ चंदन तालाब जिसे नरेन्द्र तालाब भी कहा जाता है नगरपरिक्रमा कराकर सेवायतों द्वारा वहां लाया जाता है। चंदन तालाब में गजदंत आकार की नौका में बैठाकर नौकाविहार कराया जाता है। उसके उपरांत उन्हें तालाब के बीचोंबीच अवस्थित चंदनघर लाकर सुवासित जल से नहलाया जाता है।यह रीति-नीति अक्षय तृतीया से आरंभ होकर पूरे 21दिनों तक चलती है। गौरतलब है कि गत वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण के चलते चंदनयात्रा श्रीमंदिर प्रांगण के जलक्रीडा कुण्ड में अनुष्ठित हुई थी जबकि इस वर्ष 2021 में चंदनयात्रा चंदन तालाब में अवश्य अनुष्ठित हो रही है लेकिन कोरोना महामारी की दूसरी भयावह लहर को ध्यान में रखकर यह केवल श्रीमंदिर के सेवायतों द्वारा औपचकरिक रुप में अनुष्ठित हो रही है जिसमें कोई भी जगन्नाथभक्त उसका अवलोकन नहीं कर सकता है।

प्रस्तुतिःअशोक पाण्डेय

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