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आलोक पुरुष -जीवन-परिचय

“ओडिशा के अमृत पुत्र: प्रोफेसर अच्युत सामंत “

अनुभूति: श्री वीरेन्द्र याज्ञिक,श्रीभागवत परिवार, मुंबई

श्रीरामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीजी ने एक बहुत ही विलक्षण दोहा लिखा है जिसका भावार्थ है कि- वह कुल धन्य है और सर्वत्र पूजित होता हैं जहां श्री रघुबीर अर्थात् ईश्वरपरायण लोग जन्म लेते हैं और अपने सत्कर्मों से पीड़ित मानवता को संताप से मुक्त करते हैं,यह बात भगवान शंकर ने भगवती उमा अर्थात् पार्वती को बताई। “सो कुल धन्य उमा सुनूं जगत पूज्य सुपुनीत। श्री रघुबीर परायण जे नर उपज विनीत।।-गोस्वामी तुलसीदास जी की यह उक्ति आज इक्कीसवीं शताब्दी में सत्य सिद्ध होती दिखती है,जब हमारी नजर ओडिशा के अमृत पुत्र प्रोफेसर अच्युत सामंत के जीवनवृत्त पर पड़ती है। ओडिशा के सुदूर वनवासी क्षेत्र के इस विपन्न वनवासी श्री अच्युत सामंत ने अपनी मातु श्री की आज्ञा को शिरोधार्य कर अपना सम्पूर्ण जीवन अपने वनवासी/ जनजातीय लोकजीवन के विकास के लिए समर्पित कर दिया। यह विश्वास ही नहीं होता कि एक नौजवान,जिसे अपने जीवन के प्रारंभिक काल में भर पेट भोजन उपलब्ध नहीं था उसने अपने पुरुषार्थ और भगवान जगन्नाथ की कृपा और श्री हनुमानजी में अपनी अडिग आस्था से ओडिशा के सुदूर वनवासी क्षेत्रों ग्रामों के अति पिछड़े लोक जीवन में युगांतरकारी परिवर्तन करके विश्व इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया है और विश्व के प्रथम वनवासी डीम्ड कीस विश्वविद्यालय की स्थापना करके वही काम किया है,जो हमारे रामजी ने त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने अपने वनवास काल में किया था। जिस बालक को अपने बाल्यकाल में असुविधाओं के झंझावातों से जूझना पड़ा था,वही बालक जब जवान हुआ तो उसने अपनी जवानी का मंथन करके जो अमृत निकाला,उसका पान ओडिशा के 30,000 वनवासी बालक करके अपनी जिन्दगी के भविष्य का सुनहरा भविष्य गढ़ रहे हैं,भगवान शंकर ने भी गरल पिया था तब समुद्र मंथन से अमृत निकला था,अच्युत जी ने भी अभावों का जहर पीकर अपने आत्मविश्वास से जो ज्ञानामृत के निर्झर स्थापित किए हैं,वह हमारी युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा के प्रकाश स्तंभ हैं,ऐसे सत्पुरुष ही समाज में युगों युगों तक जगत पूज्य हो कर लोक जीवन को आलोडित करते हैं,अच्युत जी ऐसे ही श्रीमंत सामंत हैं। प्रोफेसर अच्युत सामंत द्वारा 1992-93 स्थापित कीट – टीस आज पूरे विश्व को आकर्षित करते हुए दो स्वपोषित डीम्ड विश्वविद्यालय बन चुके हैं।कीट अगर‌ प्रोफेसर अच्युत सामंत का एक आत्मनिर्भर कार्पोरेट है तो कीस डीम्ड विश्वविद्यालय उसका सामाजिक दायित्व है।कीट आज विश्व के कुल आठ नामी विश्वविद्यालयों में शुमार है तो कीस डीम्ड विश्वविद्यालय विश्व का प्रथम आत्मनिर्भर डीम्ड आवासीय विश्वविद्यालय बनकर भारत के दूसरे शांतिनिकेतन के रूप में ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर को विश्व के आकर्षण का केंद्र बना दिया है। प्रोफेसर अच्युत सामंत का जीवन दर्शन: आर्ट ऑफ गिविंग उनको पूरे विश्व के युवाओं के लिए रोलमॉडल बना दिया है। कंधमाल लोकसभा संसदीय क्षेत्र जहां से प्रोफेसर अच्युत सामंत सांसद हैं वह आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र भी आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रसर है। प्रोफेसर अच्युत सामंत द्वारा स्थापित कीम्स मेडिकल कॉलेज तथा अस्पताल पूर्वी भारत का अत्याधुनिक मेडिकल कॉलेज बन चुका है जो 2,600 बेडवाला फुली एसी अस्पताल है जहां पर कैंसर मरीजों का सबसे सस्ते दर पर इलाज होता है।सच तो यह भी है कि कीट-कीस-कीम्स समस्त कीट समूह शैक्षिक संस्थानों के निर्माण का उद्देश्य मानवता, करुणा और सहानुभूति सहित सहयोग है। आध्यात्मिक पुरुष, आलोक पुरुष प्रोफेसर अच्युत सामंत मानव और मानवता के सच्चे पुजारी हैं । मुंबई भागवत परिवार प्रोफेसर अच्युत सामंत के प्रति कृतज्ञता का पुष्प अर्पित करता हैं जिन्होंने पूरे भागवत परिवार को लगभग पांच वर्ष पूर्व मुंबई से भुवनेश्वर बुलाकर कीट-कीस-कीम्स के साथ-साथ अपने द्वारा निर्मित एशिया के प्रथम स्मार्ट गांव कलराबंक का दर्शन कराया।श्री जगन्नाथ पुरी तथा सिरुली महावीर के दर्शन कराया। हमारी अप्रतीम भारत रचना का लोकार्पण ओडिशा के महामहिम राज्यपाल प्रोफेसर गणेशी लाल जी से कराया।मैं उस आलोक पुरुष की बहुआयामी प्रतिभा और व्यक्तित्व को साधुवाद देता हूं।
वीरेंद्र याज्ञनिक
एकादशी

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