अगर आप एक सच्चे अहिंसावादी हैं तो यह अवश्य जानिए- कि सम्पूर्ण यज्ञ में दिया गया दान, सम्पूर्ण तीर्थों में किया गया पवित्र स्नान, समस्त दानों का फल भी अहिंसा की बराबरी नहीं कर सकता है.
मान्यवर, मन, वचन और कर्म से अहिंसावादी बनें!
जय हो पुरुषोत्तम की!
