-अशोक पाण्डेय
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प्रत्येक व्यक्ति की अपनी- अपनी निजी सोच होती है। अच्छे लोग दुनिया को अच्छा समझते हैं और बुरे लोग दुनिया को बुरा। इसका मतलब यह नहीं है कि इस दुनिया में अच्छाई -बुराई नहीं है। इस दुनिया में बुराई अधिक है और अच्छाई कम।रही बात लोगों की सोच की तो आप जिस प्रकार का चश्मा अपनी आंखों पर लगाएंगे, दुनिया आपको वैसी ही नजर आएगी। प्रत्येक व्यक्ति में गुण और दोष है,इसका मूल्यांकन व्यक्ति को स्वयं करना चाहिए। वह व्यक्ति जो अपनी गलतियों के लिए प्रायश्चित करता है वह दुनिया सबसे महान व्यक्ति होता है। आज प्रत्येक व्यक्ति की सोच को सकारात्मक बनाने की आवश्यकता है और यह काम उसका संस्कार कर सकता है। मेरा यह व्यक्तिगत मत है कि शाकाहारी भोजन और आध्यात्मिक दिनचर्या ही किसी की गलत सोच को बदल सकते हैं।
-अशोक पाण्डेय









