Header Ad

Categories

  • No categories

Most Viewed

अनन्य जगन्नाथ-भक्तः उद्योगपति श्री महिमानन्द मिश्र

प्रस्तुतिः अशोक पाण्डेय
अनन्य जगन्नाथ भक्तों जैसेः विद्यापति, जयदेव, चैतन्य, रामानुजाचार्य,पंचसखा, सरला दास, नानक,कबीर, तुलसी तथा सालबेग आदि की अटूट जगन्नाथ सेवा-भक्ति,उनके आध्यात्मिक जीवन से आध्यात्मिक प्रवचनों से नित्य प्रेरणा लेनेवाले अनन्य जगन्नाथभक्त,कटक निवासी उद्योगपति श्री महिमानन्द मिश्र भी हैं। उनका यह मानना है कि भगवान जगन्नाथ भले ही जगत के नाथ हैं। वे भले ही अनादिकाल से पुरी के श्रीमंदिर के रत्नवेदी पर सौर,वैष्णव,शैव,शाक्त,बौद्ध,जैन और गाणपत्य रुप में पूजे जाते हों लेकिन उनके लिए तो भगवान जगन्नाथजी समस्त ओडिया जाति के प्राण हैं।ओडिशा के घर-घर में उनकी पूजा इष्टदेव,कुलदेव,गृहदेव तथा ओडिशा प्रांतदेव के रुप में होती है।इसीलिए भगवान जगन्नाथ में उनकी अटूट आस्था,विश्वास तथा अनन्य भक्ति है। श्री महिमानन्द मिश्र का जन्म एक धनाढ्य जमींदार परिवार में 07मई,1953 में हुआ। श्री महिमाजी ने अपने पिताजी स्वर्गीय रवीन्द्रनाथ मिश्रा तथा माताजी स्वर्गीया उर्मिला मिश्रा से जगन्नाथजी की नित्य पूजा-पाठ करने तथा उनके चरणों में अनन्य भक्ति की आध्यात्मिक विरासत मिली है। ओडिशा समेत पूरे भारत तथा विश्व में बननेवाले अधिकांश जगन्नाथ मंदिरों के निर्माण में वे यथासंभव सहयोगकर अपने आपको संतुष्ट महसूस करते हैं। जगन्नाथजी की अटूट भक्ति में अपने आपको सदा लीन रखने के खयाल से उन्होंने पुरी बडदाण्ड के समीप ही अपना पवित्र रथयात्रा दर्शन गृह बना लिया है जिसमें एक तरफ नित्य भगवान जगन्नाथजी की पूजा-अर्चना होती है वहीं प्रतिवर्ष रथयात्रा के समय श्री महिमानन्द मिश्र सपरिवार अपने लगभग 80 सगे-संबंधियों के साथ आकर रथारुढ भगवान जगन्नाथ के दर्शन करते हैं। समय-समय पर उनका नवकलेवर देखते हैं। वहां पर यज्ञ कराते हैं। श्री मिश्र यह बताते हैं कि पुरी धाम के जगन्नाथ मंदिर के सेवायतों,अनेकानेक मठों,जगन्नाथ मंदिर के सामने पूजा सामग्रीआदि बेचनेवालों,कुष्टरोगियों,विधवाओं,अनाथालयों,विकलांगों,नेत्रहीनों आदि की वे इसीलिए सेवा –सहयोग करते हैं कि उनकी सेवा में ही उनको सच्ची जगन्नाथ भक्ति तथा सेवा का अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है। एम.ए.,एलएल.बी. की डिग्री प्राप्तकर ओडिशा स्टेवेण्डर्स लिमिटेड के प्रबंधनिदेशक बने श्री महिमाजी ओडिया,हिन्दी तथा अंग्रेजी के माध्यम से जगन्नाथ-संस्कृति की जानकारी दूसरों को देते हैं। 1996 तथा 2015 के नवकलेवर के दौरान श्री महिमानन्द मिश्रा का सहयोग प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रुप से जगन्नाथ भक्तों की निःस्वार्थ सेवा को लेकर अति सराहनीय तथा यादगार रही है। अपने कटक निगम कार्यालय में श्री महिमानन्द मिश्रा एक तरफ जहां अपने कार्यालय के समस्त अधिकारियों तथा सहयोगियों को अपने घर के सदस्य के रुप में दिल से स्वीकारकर उनके लिए अपने घर से साल के 365 दिन पौष्टिक लंच तैयारकर मंगवाते हैं और एकसाथ बैठकर दोपहर का भोजन स्वयं करते हैं। पिछले लगभग तीन दशकों से एक सफल उद्योगपति के रुप में सेल्फमेड,दूरदर्शी तथा कार्यसंस्कृतिसंपन्न उद्योगपति श्री महिमानन्द मिश्र अपनी अनन्य जगन्नाथ भक्ति से ओडिशा उद्योगजगत को विकास की नई दिशा दिखा रहे हैं। अपनी अनन्य जगन्नाथभक्ति के माध्यम से यह उनका भी मानना है। अपने विभिन्न उद्योगों के विकास के साथ-साथ अब वे आतिथ्य-सत्कार,शिक्षा तथा स्वास्थ के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय और प्रेरणादायक मुकाम प्राप्त कर चुके हैं। जगन्नाथ-संस्कृति के वे यथार्थ प्रचारक हैं।उनका यह कहना है कि विरासत में ही उनको जगन्नाथजी की सेवा,भक्ति,उनमें अटूट आस्था-विश्वास का संस्कार प्राप्त है जिसे वे आजीवन विकसित करेंगे। उनके लिए 2021 की रथयात्रा के साथ-साथ भगवान जगन्नाथजी की बाहुडायात्रा,सोनावेष और नीलाद्रि विजय के दिव्य दर्शन का विशेष महत्त्व है।
अशोक पाण्डेय

    Leave Your Comment

    Your email address will not be published.*

    Forgot Password