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“अपनी-अपनी सोच”

-अशोक पाण्डेय
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एक गांव में दो मित्र रहते थे। वे दोनों एक ही झोपड़ी में रहते थे। खेतों में काम करते थे। दोनों ईश्वर की नित्य प्रातः काल पूजा करते थे। एक दिन जब दोनों खेत में काम कर रहे थे तभी तेज आंधी आई। आंधी में दोनों मित्रों की आधी झोपड़ी उड़ गई। दोनों जब आंधी के रुकने पर वापस लौटे तो देखा कि उनकी झोपड़ी का आधा हिस्सा हवा में उड़ चुका है। एक ने उसके लिए ईश्वर को बहुत उल्टा-सीधा कहा जबकि दूसरे ने ईश्वर को आभार जताया कि उन्होंने उसकी झोपड़ी का आधा हिस्सा बचा दिया जिसमें वह रह सकता है।
मान्यवर, अपनी-अपनी सोच को सकारात्मक बनाएं!
-अशोक पाण्डेय

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