आज ओडिशा में लगभग दस लाख मारवाड़ी कारोबारी सुरक्षित रहकर राज्य सरकार के पूर्ण सहयोग से अपना कारोबार कर रहे। पिछले लगभग 25 सालों से वे ओडिशा की नवीन सरकार के पूर्ण सहयोग से अपने साथ साथ ओडिशा को भी सहयोग कर रहे हैं। यह सच है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का मरुदंड भारतवर्ष का मारवाड़ी समाज और वैश्य समाज अनादि काल से रहाहै। ओडिशा में लगभग 60 सालों से लगभग 10 लाख मारवाड़ी कारोबारी ओडिशा को अपनी कर्मभूमि मानकर कपड़े , परिवहन,दवाई तथा गृह निर्माण आदि का व्यापार आनंदमय तरीके से कर रहे हैं। पिछले लगभग 25 सालों से ओडिशा की नवीन सरकार ने तो उन्हें अपना मानकर उनको पूर्ण सहयोग दे रही है।उनके हितों की रक्षा कर रही है। ओडिशा के लौह पुरुष कहे जानेवाले ओडिशा के स्वर्गीय मुख्य मंत्री बीजू पटनायक कहा करते थे कि ओडिशा में जहां न जाए बैलगाड़ी वहां जाए मारवाड़ी। ओडिशा में सभी प्रकार के व्यापार की संभावनाएं बढ़ीं और मारवाड़ी कारोबारी अपने अपने कारोबार में मात्र विकसित ही नहीं हुआ अपितु ओडिशा को थोक व्यापार का केंद्र बना दिया।आज भारत की जितनी भी गैर-सरकारी संगठन और संस्थाएं हैं उनकी शाखाएं ओडिशा में भी हैं।यही नहीं ओडिशा के प्रथम मारवाड़ी स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय प्रहलाद राय लाठ थे जिन्होंने अपना सबकुछ ओडिशा को दे दिया। ओडिशा के राजनेता स्वर्गीय वेदप्रकाश अग्रवाल ओडिशा सरकार में वित्त मंत्री रहे। कटक का मारवाड़ी समाज लगभग साठ के दशक से ही कटक मालगोदाम कटक जनपद की सेवा कर रहा है। हमारी मूलभूत आवश्यकताएं : भोजन, वस्त्र,आवास और मनोरंजन हैं और इन चारों की पूर्ति करने में ओडिशा का मारवाड़ी समाज पूरी तरह से सक्षम है क्योंकि यहां की लोककल्याणकारी नवीन सरकार पिछले लगभग 25 सालों से आत्मीयता के साथ ओडिशा में कार्यरत सभी मारवाड़ियों को पूर्ण सहयोग दे रही है। गौरतलब है कि 1936 से ही जब राजस्थान में प्राकृतिक प्रकोप के रूप में सूखा पड़ा और अंग्रेजों का दबदबा बढ़ा तो वे अपने व्यापार की खोज में सड़क मार्ग से पूर्वी भारत में आए। उनमें से कुछ बिहार के भागलपुर से होते हुए ओडिशा संबलपुर आये।वहां से वे नदी मार्ग से कटक आए। कटक से सीधे ब्रह्मपुर गए । कालांतर में वे जटनी आए और अपने कारोबार का मुख्य केंद्र बनाए।आज भी थोक व्यापार और मालगोदाम को लेकर जटनी का विशेष नाम है। शुरू -शुरू में मारवाड़ी अपने बुजुर्ग माता-पिता और दादा दादी को पुरी धाम लाकर भगवान जगन्नाथ के दर्शन कराते थे। मारवाड़ी समाज ओडिशा में धीरे-धीरे धार्मिक कार्यों में अपने आप को लगा दिया। अनेक धार्मिक आयोजन कराने लगे। मारवाड़ी धर्मशाला, मारवाड़ी स्कूल , कालेज तथा देवालय बनाकर ओडिशा में आध्यात्मिकता के परिवेश को बढ़ावा दिया। मोरारी बापू जैसे विश्व प्रसिद्ध रामायणी को ओडिशा लाकर उनका जीवनोपयोगी प्रवचन कराया। ओडिशा के घर घर में धार्मिक जीवन जीने हेतु श्री जगन्नाथ कथा के साथ साथ श्रीमद्भागवत कथा आदि का नियमित आयोजन कराया। प्रतिवर्ष भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा,बोलबम कांवड़ियों की सेवा तथा श्री श्याम महोत्सव आदि में तो ओडिशा का मारवाड़ी समाज हमेशा बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता है। ऐसा विश्वास है कि ओडिशा का मारवाड़ी समाज ओडिशा के सम्यक विकास में आगे भी सहयोग देता रहेगा क्योंकि उनको हरप्रकार से सहयोग ओडिशा की नवीन सरकार से मिल रहा है।
अशोक पाण्डेय
