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” आजकल डाक्टरों की अंगुलियों रोगियों की नब्ज टटोलने से पहले उनकी जेबें टटोलती हैं।”

-विश्लेषक :अशोक पाण्डेय

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“मेरी राम कहानी में” शिवपूजन सहाय लिखते हैं कि आजकल डाक्टरों की अंगुलियां रोगियों की नब्ज टटोलने से पहले उनकी जेबें टटोलती हैं।”-यह बात आज भी पूरी तरह से सत्य सिद्ध हो रही है। भारत की लोककल्याणकारी सरकार के सहयोग से भारतीय नागरिक एक तरफ जहां विकसित भारत की ओर अग्रसर है वहीं हमारे निजी अस्पतालों/सरकारी अस्पतालों के डाक्टर रोगियों की जेबें टटोलने में लगे हुए हैं। जरुरत रोगियों की जांच संस्कृति को चुस्त-दुरुस्त करने की आवश्यकता है । रोगी को अपने अनुभव से रोग के इलाज के लिए दवा का नाम तक याद हो जाता है। मेरा यह मानना है कि एक डॉक्टर जगन्नाथ का सच्चा रुप होता है। उसे अपनी यह जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और कर्त्तव्यपरायणता के साथ निभानी चाहिए।
-अशोक पाण्डेय

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