भुवनेश्वरः20अक्तूबरःअशोक पाण्डेयः
श्री अनिल धीर, अनुसंधानकर्ता भारत की सांस्कृतिक धरोहर आदि ने 20अक्तूबर को भुवनेश्वर में यह जानकारी दी है कि आजाद भारत के जिस प्रथम ध्वज को जिसे 14अप्रैल,1944 को इण्डियन नेशनल आर्मी के कर्नल शौकत मलिक ने इम्फाल के नजदीक मोइरंग में पहली बार फहराया था,उस प्रथम ध्वज को दिल्ली के आईएनए संग्रहालय सीलमगढ किले में नहीं तो नेताजी संग्रहालय,कटक में रखे जाने की तत्काल आवश्यकता है। श्री धीर के अनुसार आजाद भारत का वह प्रथम ध्वज उखरुल,मणिपुर के वाई.ए.सिशक नामक देशभक्त के स्टील ट्रंक में पूरी तरह से असुरक्षित है। उसे केवल इण्डियन नेशनल आर्मी के स्मारक दिवस पर प्रतिवर्ष फहराया जाता है। श्री अनिल धीर जो दो बार उखरुल,मणिपुर जाकर मि. वाई.ए.सिशक से मिल चुके हैं उनका भी यही कहना है कि आजाद भारत का वह प्रथम ध्वज उनके पास असुरक्षित है। श्री धीर इस संबंध में भारत सरकार और ओडिशा सरकार को तत्काल पहल करने का निवेदन पहले भी कर चुके हैं । आज भी वे निवेदन करते हैं कि भारत सरकार आजाद भारत के उस प्रथम ध्वज को दिल्ली के आईएनए संग्रहालय सीलमगढ किले में सुरक्षित रखे, नहीं तो ओडिशा सरकार उसे नेताजी संग्रहालय,कटक में उसे सुरक्षित रखने हेतु तत्काल पहल करे।
अशोक पाण्डेय
आजाद भारत के प्रथम ध्वज को दिल्ली के आईएनए संग्रहालय सीलमगढ किले में नहीं तो नेताजी संग्रहालय, कटक में ही रखा जाना चाहिए-श्री अनिल धीर, अनुसंधानकर्ता
