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“आध्यात्मिक संगीत का नित्य सोते समय तथा पूजा करते समय अवश्य श्रवण करें!”

-अशोक पाण्डेय

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प्रत्येक सनातनी के व्यक्तिगत जीवन में आध्यात्मिक संगीत का विशिष्ट महत्त्व होता है। वास्तव में संगीत की तीन शाखाएं हैं: गीत, नृत्य और वाद्य। भगवान जगन्नाथ जो जगत के नाथ हैं उनको ओड़िशी संगीत बहुत पसंद है। मित्रों, भारत की लोककल्याणकारी सरकार अपने वैदेशिक संबंधों को सुदृढ़ करने के ख्याल से अपने सभी विदेशी राजदूतावासों में‌ भारतीय संगीत,योग और हिन्दी का पठन-पाठन अपनी ओर से नि: शुल्क करती है। और यही कारण है कि विदेशों में आध्यात्मिक संगीत के माध्यम से एक तरफ अपने रिश्ते को बेहतर बनाती है वहीं जगन्नाथ संस्कृति का भी प्रचार-प्रसार करती है।
-अशोक पाण्डेय

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