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“आनंदमय चेतना हैं भगवान जगन्नाथ।”

-अशोक पाण्डेय

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निश्चित रूप से भगवान जगन्नाथ जी आनंदमय चेतना हैं जो विश्व के सभी देवों, सभी धर्मों,सभी सम्प्रदायों,सभी सभ्यताओं और सभी संस्कृतियों के केन्द्र बिन्दु प्राण हैं। सच तो यह भी है कि वे सृष्टि के आदि , मध्य और अंत भी हैं। वे सृष्टि के सभी प्राणियों को आनंद का संदेश देते हैं। आज भारत को जो ऋषि -मुनियों का देश कहा जाता है उसका प्रत्यक्ष उदाहरण है धर्म- कानन पुरुषोत्तम क्षेत्र पुरी धाम।
-अशोक पाण्डेय

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