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मेरे व्यक्तिगत जीवन के अनुभव कहते हैं कि प्रशंसा करना ही एक अच्छे वक्ता का दायित्व होना चाहिए जिससे कि जो प्रशंसा के योग्य न होने पर भी अपने को प्रशंसा के योग्य बना सके.
मानव प्रेम, ईश्वर प्रेम व राष्ट्र प्रेम के, भौतिक सुखों के त्यागी और मर्यादा के आप यथार्थ आदर्श हैं.
नारायण और श्रीकृष्ण ने भी मानव को प्रेम, त्याग और मर्यादा का ही संदेश दिया है.
आपका आज का दिन शुभ हो!
-जय हो हमारे पितरों का!









