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“आलसी न बनें!”

-अशोक पाण्डेय

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एक प्रजापालक और न्यायप्रिय राजा था। वह अपना राजकोष अपनी प्रजा के लिए खर्च करता था। अपने लिए अपने राजकोष से कुछ भी नहीं लेता था। एक समय ऐसा आया कि उसके राज्य में आलसी लोगों की संख्या बहुत बढ़ गई और उसी समय पड़ोसी राजा ने उस प्रजापालक और न्यायप्रिय राजा के राज्य पर आक्रमण कर दिया। राजा करे तो क्या करे? उसने सबसे पहले अपने राज्य से आलसी व्यक्तियों को चुन-चुनकर एक लोहे के बाड़े में बंद कर दिया। जो राज्य की रक्षा के प्रति समर्पित थे उनको लेकर युद्ध लड़ा और विजयी हुआ और अपने राज्य में यह आदेश लागू कर दिया कि उसके राज्य में आलसी व्यक्तियों का कोई स्थान नहीं है। मित्रों,आपके जीवन में पग-पग पर मुश्किलें हैं और उनसे बचने का एक ही उपाय है कि आप आलसी न बनें!
-अशोक पाण्डेय

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