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आलोकपुरुषः प्रोफेसर अच्युत सामंत का आध्यात्मिक जीवनःएक प्रेरणास्त्रोत

कहते हैं कि सज्जन जिस रास्ते पर चलते हैं, वही रास्ता उत्तम और सर्वश्रेष्ठ रास्ता होता है। कीट-कीस के प्राणप्रतिष्ठाता तथा कंधमाल लोकसभा सांसद आलोकपुरुषः प्रोफेसर अच्युत सामंत का आध्यात्मिक जीवन सभी के लिए एक प्रेरणा का स्त्रोत है।  यह भी सच है कि किसी व्यक्ति की कमजोरी अथवा उसकी अच्छाई उस व्यक्ति के सानिध्य में रहने ही मालूम होता है। प्रोफेसर अच्युत सामंत के सानिध्य में 1996 से मैं आया। उनके साथ प्रतिदिन कम से कम 2-2 घण्टे समय व्यतीत किया। उनके भुवनेश्वर के किराये के घर पर प्रतिमाह संक्रांति के दिन श्री सुंदरकाण्ड पाठ का श्रवण तथा प्रसादसेवन भी करता हूं। उनके द्वारा भुवनेश्वर में 1992-93 में स्थापित कलिंग इंस्टीट्यूट आफ इंडस्ट्रियल टेक्नालाजी,कीट एवं कलिंग इंस्टीट्यूट आफ सोसलसाइंसेज,कीस को भी बहुत करीब से मैंने देखा है। उनके गांव एशिया के प्रथम स्मार्ट विलेज कलराबंक भी नियमित रुप से गया हो और प्रोफेसर अच्युत सामंत द्दारा शिक्षा,स्वास्थ्य,रोजगार,मनोरंजन तथा स्वरोजगार आदि से परिपूर्ण समस्त संसाधनों को भरपूर गांव को पूरी तरह से एक विकसित शहर के रुप में देखा है। प्रोफेसर अच्युत सामंत के बाल्यकाल की दयनीय आर्थिक दशा को भी जानने का मौका मुझे मिला है।  प्रोफेसर अच्युत सामंत जब मात्र चार साल के थे तभी उनके पिताजी का एक रेलदुर्घटना में असामयिक निधन हो गया । उनकी अनाथ-बेसहारा विधवा मां उनके बुरे दिनों का सच्चा गुरु बनकर प्रोफेसर अच्युत सामंत को सबसे पहले ईश्वर,गुरु,ब्राह्मण तथा दीन-दुखियों की सेवा का दिव्य बाल-संस्कार दिया। प्रोफेसर अच्युत सामंत अपने बचपन की किलकारियों को भूलकर घर-घर फूल पहुंचाते रहे और अपनी मां को सहयोग करते रहे। उनके प्राईमरी स्कूल के शिक्षक ने लगभग 7 साल की उम्र में सुकुठा से उनका नया विधिवत नामकरण किया-अच्युतानन्द सामंत। कहते हैं –होनहार वीरवान के होत चिकनो पात। प्रोफेसर अच्युत सामंत के आध्यात्मिक जीवन का आरंभ वही से हुआ। 56वर्षीय प्रोफेसर अच्युत सामंत ने अबतक कुल लगभग 25 सनातनी मंदिरों का निर्माण किया है तथा लगभग 50 सनातनी मंदिरों के निर्माण तथा उनके जीर्णोद्धार में आर्थिक सहयोग दिया है। उनके आध्यात्मिक जीवन की सबसे बडी बात यह है कि पुरी धाम जाने के रास्ते में पौराणिक काल के सिरुली हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार प्रोफेसर अच्युत सामंत ने किया है जहां पर पिछले लगभग 16 सालों से प्रतिवर्ष दिसंबर महीने के अंतिम शनिवार को मंदिर का वार्षिकोत्सव उनके द्वारा आयोजित होता है जिसमें संत बाबा रामनारायण दास जी महाराज द्वारा व्यासपीठ से श्री रामचरितमानस का संगीतमय सुंदरकाण्ड पाठ होता है जिसमें श्री जगन्नाथधाम पुरी समेत पूरे भारत के साधु-महात्मा स्वेच्छापूर्वक हिस्सा लेते हैं तथा उस दिन  लगभग 20हजार स्थानीय ग्रामीण आयोजित भण्डारे में प्रसादसेवन करते हैं। उनके गांव एशिया के प्रथम स्मार्ट विलेज कलराबंक के रामदरबार में प्रतिवर्ष सर्वधर्मसभा तथा विश्वशांति यज्ञ अनुष्ठित होता है। प्रोफेसर अच्युत सामंत द्वारा कीस परिसर वाणीक्षेत्र में स्थापित श्री जगन्नाथ मंदिर में नियमित तौर पर पुरी धाम की तरह रथयात्रा,बाहुडायात्रा आदि भी अनुष्ठित होता है। मंदिर के वार्षिकोत्सव के अवसर पर सर्वधर्मसभा आदि आयोजित होता है। सभी धर्मों में विश्वास रखवेवाले तथा ओडिशा की कला,संस्कृति,साहित्य से अगाध प्रेम रखनेवाले प्रोफेसर अच्युत सामंत प्रतिदिन उठकर अपने दैनिक कार्यों से निवृत होकर सबसे पहले अपने घर पूजा करते हैं। वाणीक्षेत्र जगन्नाथ मंदिर जाकर कुल लगभग 25 देवी-देवताओं की पूजा मंदिर के पुजारियों द्वारा पूरे विधि-विधान से करते हैं। साल के प्रत्येक माह की पहली तारीख को पुरी धाम जाकर श्री जगन्नाथ भगवान के दर्शन अवश्य करते हैं। एकसाथ दो-दो डीम्ड विश्वविद्यालय कीट-कीस बनानेवाले प्रोफेसर अच्युत सामंत बताते हैं कि उनको अपने कीस के लगभग 30हजार आदिवासी बच्चों को अपनी ओर से निःशुल्क समस्त आवासीय सुविधाओं के साथ केजी से लेकर पीजी कक्षा तक पढाकर तथा उन्हें स्वावलंबी बनाकर जो सुख मिलता है निश्चित रुप से वहीं उनके आध्यात्मिक जीवन का वास्तविक सुख है। सभी के आदर्श प्रोफेसर अच्युत सामंत का सभी से एक ही निवेदन है कि सभी यथासंभव  आध्यात्मिक जीवनयापन करें तथा यथासंभव ईश्वर,गुरु,ब्राह्मण तथा दीन-दुखियों की सेवा भी करें।

प्रस्तुति -अशोक पाण्डेय

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