18अप्रैल को एक अनौपचारिक बातचीत में ओडिशा मठ-मंदिर के अनुसंधानकर्ता श्री अनिल धीर ने बताया कि श्री जगन्नाथ पुरी के इमार मठ में अप्रैल के प्रथम सप्ताह में पुनः कुल लगभग 25 चांदी-ईंट का खजाना मिला है जिसकी कीमत लगभग 50-60 लाख रुपये होगी। उन्होंने यह भी बताया कि 2011 में पहली बार इमार मठ की दीवार से लगभग 522 चांदी की ईंटे मिली थी जिसकी कीमत लगभग एक सौ करोड रुपये आंकी गई थी। इमार मठ के महंत को गिरफ्तारकर उन्हें जेल भी भेजा गया था। इमार मठ पिछले लगभग 10 वर्षों से पुरी स्थानीय पुलिस के संरक्षण में है। श्री अनिल धीर के अनुसार उन्होंने मान्यवर न्यायालय से इसमें हस्तक्षेप करने की अपील की है लेकिन सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि आजतक जो भी इमार मठ से चांदी की ईंट का खजाना मिला है उसके खिलाफ कोई चार्जशीट भी नहीं हुई है, न ही वह खजाना मान्यवर न्यायालय को ही सौंपा गया है। श्री अनिल धीर के अनुसार 1866 में ओडिशा में जब सूखा पडा तो उस दौरान भी ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा पुरी में भक्तों तथा मठों को जीवित रखने के लिए तथा अनेक राहत भोजनालय चलाने की जरुरत पडी जिसके लिए वे पुरी के अनेक धनाढ्य मठाधीशों से अनाज स्टाक की मांग के लिए ब्रिटिश अधिकारियों को चांदी-ईंट देनी पडी थी। उनदिनों इमार मठ सबसे बडा जमीन मालिक था। श्री अनिल धीर ने पुरी के इमार मठ की ओडिशा के साक्षीगोपाल शाखा जिसका निर्माण 1850 के दशक में हुआ था उसके साथ-साथ भुवनेश्वर ओल्डटाऊन शाखा की जांच की भी मांग की है जहां पर चांदी-ईंट का खजाना रखे जाने की संभावना है।
अशोक पाण्डेय