इस नश्वर संसार को, इस संसार के मोहमाया और इन सभी से मुक्ति दिलाने के लिए जगत के नाथ भगवान जगन्नाथ आदि को जानना, मानना और उनके लिए कुछ करना ही मनुष्य जीवन की सार्थकता है.
इसके लिए हमेशा कर्मशील बनें!
जीवन में यथासंभव जप, तप, पूजा -पाठ और दान पुण्य भी करें!
अर्जुन को शांतिदूत श्रीकृष्ण ने जब गीता का पूर्ण उपदेश महाभारत के युद्ध क्षेत्र में दे दिया तो उन्होंने अर्जुन से कर्म करने की ही दक्षिणा ली.
आज पवित्र एकादशी पर –
“जय जगन्नाथ!”