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उत्कल अनुज हिंदी पुस्तकालय, भुवनेश्वर में मनाया गया “एक शाम शहीदों के नाम”

स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर उत्कल अनुज हिंदी पुस्तकालय, भुवनेश्वर में एक शाम शहीदों के नाम कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस विशेष अवसर पर पुस्तकालय के संरक्षक श्री सुभाष चन्द्र भूरा का हिंदी के प्रचार-प्रसार में अद्भुत योगदान के लिए पूरे सदन की ओर से अभिवादन एवं बधाई दी गई। ज्ञात हो की श्री भूरा को अभी हाल ही में उनके अहिंदी भाषी क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए राजस्थान सरकार द्वारा विशिष्ट सम्मान से सम्मानित किया गया था। कार्यक्रम में एक राजा या नेतृत्व कर्ता को कैसा होना चाहिए इस पर राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता श्री अशोक पाण्डेय ने अपना सुंदर विचार रखे। वहीं सदन की अध्यक्षता श्री गोपाल कृष्ण सिंह ने किया।

‌कार्यक्रम की शुरुआत सुश्री रश्मि गुप्ता के द्वारा ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी गाकर किया गया। उनके मधुर कंठ से जब इस गीत को गाया गया तो पूरे सदन की आंखें नम हो गई। वहीं भुवनेश्वर के नामचीन उद्योगपति श्री प्रकाश चन्द्र भूरा ने जहां डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा एवं मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरा-मोती जैसी कालजयी गीतों को गाकर सदन को राष्ट्रमय कर दिये। इस ऐतिहासिक एवं भव्य कवि सम्मेलन में हिंदी एवं ओड़िया भाषी के लगभग 30 से अधिक कवि एवं कवयित्रियों ने कविता पाठ किया। देश प्रेम से ओतप्रोत, भारत माता, वंदे उत्कल जननी, सैनिकों के अमर बलिदान एवं सम-सामयिक विषयों को ध्यान में रखकर कविता पाठ किया गया।

उत्कल अनुज हिंदी पुस्तकालय के कवि श्री किशन खंडेलवाल ने कवि सम्मेलन का संचालन किया एवं अपने हास्य-व्यंग्य से खूब लोगों को हंसाया। कवि विक्रमादित्य सिंह ने जब भारतीय सैनिकों के पत्नियों की तरफ से एक निवेदन पढ़ा तो उसका समर्थन पूरा सदन ने करतल ध्वनि से किया और श्री सिंह को ऐसा लगता है कि इसका समर्थन सम्पूर्ण भारत को करना चाहिए।
अमर शहीदों की पत्नी को…..विधवा का न संबोधन हो
कहो वीरांगना साध्वी उनको या फिर अमर बलिदानी हो।

अन्य कवि एवं कवयित्रियों में राम किशोर शर्मा, विनोद कुमार, आशीष विद्यार्थी, स्मिता कानूनगो, अनुप अग्रवाल, शालीन अग्रवाल, सुनिता मुंड, अविनाश दास, सुषमा लेंका, जयश्री पटनायक, संस्कृति पंडा, वंशिका रानी, आशीष पाणीग्राही, अद्वेता साहु, कल्पना महाराणा एवं स्नेहा मिश्रा ने अपनी-अपनी प्रस्तुति से “एक शाम शहीदों के नाम” कार्यक्रम को पूर्णतः चरितार्थ किया।

कार्यक्रम के अंत में सभी ने राष्ट्र गान गाकर देश एवं तिरंगे के प्रति अपनी सच्ची श्रद्धा व्यक्त किया और राष्ट्र की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण बनाए रखने की शपथ ली। भारत माता की जय -हिन्दुस्तान जिंदाबाद के जयघोष के साथ कार्यक्रम की समाप्ति हुई।

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