श्री जगन्नाथ परिक्रमा(प्रदक्षिणा) प्रकल्पः
एक विहगावलोकनः
उड्र,उत्कल,कलिंग और ओडिशा के नाम से वेदों, पुराणों, उपनिषदों,रामायण,महाभारत तथा श्रीमद्भागवत में वर्णित ओडिशा प्रदेश की आध्यात्मिक नगरी श्री जगन्नाथ धाम पुरी है जहां के श्रीमंदिर के रत्नवेदी पर अनादिकाल से विराजमान हैं चतुर्धा देवविग्रह स्वरुप संसार के स्वामी भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा,बड़े भाई बलभद्र तथा सुदर्शन जी। भगवान जगन्नाथ विश्व मानवता के प्राण हैं,केन्द्र बिन्दु हैं जिनके दर्शनमात्र से विश्व शांति,मैत्री,सद्भाव तथा एकता का पावन संदेश पूरा विश्वमानवता को जाता है।सम्पूर्ण जगत के स्वामी,श्री जगन्नाथ जी भगवान यहां पर सभी देवों के समाहार विग्रह स्वरुप हैं।इसीलिए श्री जगन्नाथ पुरी अपने आपमें एक धाम,धार्मिक क्षेत्र और पवित्रतम तीर्थ के रुप में विख्यात है।यह एक धर्मकानन है। श्री जगन्नाथ मंदिर जिसे श्रीमंदिर कहा जाता है इसका निर्माण 12वीं शताब्दी में गंगवंश के प्रतापी राजा चोल गंगदेव ने किया था।यह जगन्नाथ मंदिर ओडिशी स्थापत्य तथा मूर्तिकला का बेजोड़ उदाहरण है।श्रीमंदिर के पूर्व दिशा के महाद्वार को सिंहद्वार कहा जाता है जो सनातनी शाश्वत परम्परानुसार धर्म का प्रतीक है। श्रीमंदिर का पश्चिम द्वार व्याघ्रद्वार है जो वैराग्य का प्रतीक है।मंदिर के उत्तर दिशा के महाद्वार को हस्तीद्वार कहते हैं जो ऐश्वर्य का प्रतीक है और श्रीमंदिर का दक्षिण महाद्वार अश्वद्वार है जो ज्ञान का प्रतीक है।श्रीमंदिर के रत्नसिंहासन पर चारों वेद जीवित रुप में चतुर्धा विग्रह रुप में विद्यमान हैं।रत्नवंदी पर विराजमान सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के स्वामी जगन्नाथ भगवान कलियुग के एकमात्र पूर्ण दारुब्रह्म हैं जो अपने अपलक नेत्रों से वर्तमान का मार्गदर्शन करते हैं।यह श्रीमंदिर लगभग 10 एकड़ भू-भाग में फैला हुआ है।सनातनी परम्परानुसार श्रीमंदिर में नारायण के दर्शन से पूर्व श्रीमंदिर की प्रदक्षिणा करनी जरुरी है। लेकिन मंदिर के निर्माण के लगभग एक हजार वर्ष पूरे हो जोने पर भी वहां पर श्रीमंदिर प्रदक्षिणा की कोई ऐसी व्यवस्था नहीं थी जिससे प्रतिदिन पुरी धाम में अनुष्ठित किये जानेवाले विभिन्न यज्ञ,धर्मसभा,आध्यात्मिक प्रवचन तथा आध्यात्मिक चर्चा-परिचर्चा से पूर्व सनातनी कथाव्यास श्रीमंदिर में भगनान जगन्नाथ के दर्शन से पूर्व श्रीमंदिर की प्रदक्षिणा सुगमता के साथ कर सकें। लेकिन इस समस्या को ओडिशा प्रदेश की नवीन सरकार ने गंभारता से लिया तथा ओडिशा की सांस्कृतिक तथा आध्यात्मिक धरोहर और सुदीर्घ सनातनी परम्परा श्रीमंदिर की प्रदक्षिणा हेतु 24नवंबर,2021 को ओडिशा के दूरदर्शी मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की गरिमामई उपस्थिति में भगवान जगन्नाथ के प्रथमसेवक पुरी के गजपति महाराजा दिव्य सिंहदेव ने श्रीमंदिर परिक्रमा प्रकल्प का शुभारंभ किया। यह प्रकल्प 17 जनवरी,2024 को लोकार्पित होने जा रहा है। गौरतलब है कि इस आध्यात्मिक विरासत प्रदक्षिणा(परिक्रमा)गलियारा प्रकल्प को पूरा करने में समुचित मार्गदर्शन वी.के.पाण्डियन,5टी तथा नवीन ओडिशा के चेयरमैन को जाता है।पुरी धाम में श्री जगन्नाथ मंदिर के आसपास ओडिशा प्रदेश की नवीन सरकार ने कुल लगभग 1448 एकड़ जमीन का अधिग्रहणकर वहां पर श्रीमार्ग का निर्माण कार्य भी आरंभ कर दी है जो 2024 रथयात्रा (07 जुलाई) तक पूरा हो जाएगा।प्रत्यक्षदर्शियों का यह मानना है कि इसप्रकार का तीन स्तरीय श्रीमंदिर प्रदक्षिणा गलियारा विश्व के समस्त जगन्नाथ भक्तों के लिए वरदान सिद्ध हो चुका है वहीं ओडिशा प्रदेश के नवीन सरकार के सौजन्य से वहां का बन रहा श्रीमार्ग भी अपने आपमें अभूतपूर्व होगा जो न भूतो न भविष्यत।
अवधारणाः
अशोक पाण्डेय,
राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त
अनन्य जगन्नाथ भक्त