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ओड़िशा में हिन्दी पत्रकारिता का भविष्यः एक विहगावलोकन

-अशोक पाण्डेय,
राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त.
भाषा के आधार पर गठित ओड़िशा भारत का पहला प्रदेश है।यह एक अहिन्दीभाषी प्रदेश है जो अर्द्ध मागधी भाषा परिवार(मैथिली,भोजपुरी,बंगाली और ओड़िया) के अन्तर्गत आता है। यहां की राजभाषा ओड़िया है। यह प्रदेश एक सांस्कृतिक संपन्न प्रदेश है जहां की सांस्कृतिक नगरी पुरी धाम में जगत के नाथ भगवान जगनाथ कलियुग के एकमात्र पूर्ण दारुब्रह्म के रुप में श्रीमंदिर के रत्नवेदी पर चतुर्धा देवविग्रह रुप में विराजमान हैं।महाप्रभु के दर्शन तथा उनके दिव्य आशीष के लिए विद्यापति,जयदेव,गोस्वामी तुलसीदास, नानक, कबीर और खड़ी बोली हिन्दी के जन्मदाता भारतेन्दु हरिश्चन्द्र आदि आये और जगन्नाथ संस्कृति को अपना लिए।
1930 के दशक के अवलोकन से एकबात तो स्पष्ट हो जाती है कि ओड़िशा में भगवान जगन्नाथ-दर्शन के लिए, कोणार्क,धवलगिरि,ब्रह्मगिरि तथा भगवान परशुराम की तपोस्थली महेन्द्रगिरि दर्शन आदि के लिए जो हिन्दी भक्त और सैलानी आये वे सभी ओड़िशा में हिन्दी पत्रकारिता को बढ़ावा देने में पूर्ण सहयोग दिए।पश्चिम बंगाल के लोग तो प्रत्येक माह के अंत में कम से कम एकबार जगन्नाथ पुरी अवश्य आते हैं। वहीं हिन्दी समाचार पत्रों में आर्यावर्त,हिन्दुस्तान,आज,सन्मार्ग और हिन्दुस्तान टाइम्स आदि के माध्यम से शुरु-शुरु में ओड़िशा में हिन्दी पत्रकारिता को विकसित करने में सहयोग मिला।यही नहीं,ओड़िशा में कार्यरत अप्रवासी हिन्दी नौकरशाहों,कारोबारियों,केन्द्रीय विद्यालयों,नवोदय विद्यालयों,सैनिक स्कूल तथा क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भुवनेश्वर आदि द्वारा हिन्दी को जनसम्पर्क की भाषा के रुप में सुखद विकास हुआ।
ओड़िशा में हिन्दी पत्रकारिता राष्ट्रधर्म के रुप मेः
ओड़िशा के पुरी धाम, कोणार्क सूर्यमंदिर, भुवनेश्वर,खण्डगिरि, धवलगिरि, चिलिका, ब्रह्मगिरि,महेन्द्रगिरि तथा नंदनकानन आदि कुल 243 पर्यटन स्थलों की सैर करनेवाले सैलानी भी मानते हैं कि स्थानीय लोगों से उनकी बातचीत टूटी-फूटी हिन्दी बोलने से आरंभ हुई और आज वे ही ओड़िया बंधु अच्छी हिन्दी बोल रहे हैं। हिन्दी के वैयाकरण स्व.कामता प्रसाद गुरु का भी यह मानना है कि ओड़िशा में हिन्दी का विकास लोगों की आवश्यकता की पूर्ति के लिए आरंभ हुआ। विश्वविख्यात रामायणी मोरारी बापू का मानना है कि ओड़िशा का भुवनेश्वर,पुरी धाम और विश्वविख्यात सूर्यमंदिर कोणार्क धर्मकानन है जिसकी चर्चा और जानकारी देनेवाले हिन्दी समाचारपत्रों को यहां की जानकारी राष्ट्रधर्म के रुप में होना चाहिए। यहां उल्लेखनीय बात यह है कि मोरारी बापू की ओड़िशा की तीन रामकथाएं भी ओड़िशा में हिन्दी पत्रकारिता को राष्ट्रधर्म के रुप में अपनाने का संदेश हैं।
दिनमान,धर्मयुग,सरिता और कादंबिनी जैसी हिन्दी पत्रिकाओं में प्रकाशित ओड़िशा से संबंधित विभिन्न आलेखों के प्रकाशन के माध्यम से ओड़िशा में हिन्दी पत्रकारिता को राष्ट्रधर्म के रुप में प्रोत्साहन मिला है।
ओड़िशा का भात्रा स्थित भारत का इकलौता गांधीमंदिर भी हिन्दी पत्रकारिता को नई दिशा दे रहा हैः
ओड़िशा प्रदेश के संबलपुर नगरपालिका के वार्ड सं.-1 के 18 वर्षीय युवा हरिजन अभिमन्यु कुमार ने अपने अदम्य साहस,सच्ची देशभक्ति और महात्मागांधी के विचारों से प्रभावित होकर 1969 में अपने भात्रा गांव में भारत का इकलौता गांधी मंदिर बनवाया। आज वह इकलौता गांधीमंदिर हिन्दी पत्रकारिता को ओड़िशा में बढ़ावा देने की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध हुआ है।गौरतलब है कि स्वर्गीय अभिमन्यू कुमार लगातार पांच बार ओड़िशा विधानसभा के विधायक थे जिन्होंने अपने गांधीमंदिर के माध्यम से ओड़िशा में हिन्दी पत्रकारिता को नई दिशा प्रदान की है।
1980 का दशक ओड़िशा में
ओड़िया से हिन्दी अनुवाद क्रांति कालः
1980 के दशक ने ओड़िशा में हिन्दी पत्रकारिता को सही दिशा प्रदान किया। ओड़िशा के मशहूर हिन्दी अनुवादक डॉ.शंकरलाल पुरोहित,स्वर्गीय प्रोफेसर राधाकांत मिश्र और डॉ.अजय पटनायक आदि जैसे अनेक ओड़िया से हिन्दी अनुवादकों ने हिन्दी पत्रकारिता को ओड़िशा में सकारात्मक समर्थन दिया है।गौरतलब है कि हिन्दी अनुवादक डॉ.शंकरलाल पुरोहित ने अबतक कुल लगभग 200 ओड़िया पुस्तकों का हिन्दी रुपांतरणकर यह सिद्ध कर दिया है कि ओड़िशा में हिन्दी पत्रकारिता का भविष्य उज्ज्वल है। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि जिसप्रकार हिन्दी कथाकार फणिश्वर नाथ रेणु ने मैला आंचल लिखकर हिन्दी साहित्य जगत में आंचलिकता की नींव डाली थी उसी प्रकार ओड़िया लेखक स्व.गोपीनाथ महंती ने माटी-मटाल लिखकर ओडिया साहित्य में आंचलिकता का श्रीगणेश किया था।
आज का युग लघुकथाओं का युग है,बाललघु कथाओं का युग है,महिला मासिक पत्रिका के अधिक से अधिक प्रकाशन का युग है जिसे ओड़िया साहित्यकार डॉ.इति सामंत ने अपनी महिला ओड़िया पत्रिकाःकादंबिनी और बाल लघुकथा मासिक पत्रिकाःकुनी कथा के नियमित प्रकाशन से पूरा कर रही हैं।
मुख्यमंत्री श्री मोहन चरण माझी सरकार के सहयोग से तो ओड़िशा में हिन्दी पत्रकारिता के अच्छे दिन आ चुके हैं.
यह निर्विवाद रुप से सच है कि मुख्यमंत्री श्री मोहन चरण माझी की बीजेपी की लोक कल्याणकारी प्रदेश सरकार द्वारा ओड़िशा में हिन्दी पत्रकारिता को यथोचित बढ़ावा और समर्थन मिल रहा है।यह सरकार एक तरफ जहां ओड़िया अस्मिता को पूरी तरह से बढ़ावा दे रही है तो वहीं हिन्दी पत्रकारिता को भी अपना समर्थन दे रही है।इसप्रकार उत्कृष्ट कलाओं के प्रदेश ओड़िशा में हिन्दी पत्रकारिता 1930 के दशक से लेकर आजतक धीरे-धीरे पल्लवित और पुष्पित हो रही है।आज अधिकतर हिन्दी समाचारपत्रों का प्रकाशन भी ओड़िशा में ही हो रहा है। आवश्यकता इस बात की है कि ओड़िशा प्रदेश सरकार ओड़िशा से प्रकाशित होनेवाले हिन्दी समाचारपत्रों को भी आर्थिक सहयोग प्रदान करे।
अशोक पाण्डेय

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