प्रस्तुतिःअशोक पाण्डेय
राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त
ओडिशा प्रदेश भारतवर्ष का एक मात्र भौगोलिक प्रखण्ड अथवा राज्य मात्र नहीं है अपितु सम्पूर्ण जगत के नाथ महाप्रभु जगन्नाथ का देश है जहां के श्री जगन्नाथ पुरी धाम में वे सत्युग से विराजमान होकर विश्व मानवता को एकता,शांति,मैत्री,सद्भाव तथा अतिथिदेवोभव आदि का पावन संदेश देते हैं। भुवनेश्वर स्थित दो विश्व स्तरीय शैक्षिक संस्थाओःकीट-कीस के प्राणप्रतिष्ठाता तथा कंधमाल लोकसभा सांसद हैं प्रोफेसर अच्युत सामंत। सचमुच वे ओडिशा धरती- माटी के लाल हैं। उनका सरल,सादगीभरा तथा आध्यात्मिक जीवन एक तरफ जहां जगन्नाथ भगवान तथा हनुमान जी को समर्पित है। उनका यह मानना है कि गरीबों और दीन-दुखियों की सेवा ही सच्ची जगन्नाथ सेवा है दिसके लिए उन्होंने विश्व के सबसे बडे आदिवासी आवासीय विद्यालय कीस(कलिंह इंस्टीट्यूट आफ सोसल साइंसेज) की स्थापना श्री जगन्नाथ जी के आशीर्वाद से की। सिरुली हनुमान की निःस्वार्थ सेवा से प्राप्त की। प्रोफेसर अच्युत सामंत जो सभी धर्मों में विश्वास करते हैं,उनका आदर करते हैं तथा सभी देवताओं के प्रति उनके मन में सच्ची श्रद्धा है उनके इष्टदेव ओडिशा के जगन्नाथ जी और सिरुली हनुमान जी ही हैं।इसीलिए प्रोफेसर अच्युत सामंत प्रति माह की पहली तारीख को पुरी धाम जाकर पहले जगन्नाथ जी के दर्शन करते हैं तथा प्रतिमाह के अंतिम शनिवार को सिरुली जाकर सिरुली हनुमान जी के दर्शन करते हैं।यही नहीं,भुवनेश्वर अपने द्वारा स्थापित विश्व स्तरीय शैक्षिक संस्थानःकीस में भी भगवान जगन्नाथ के प्रतिदिन दर्शन अवश्य करते हैं। वे प्रतिमाह की संक्रांति को अपने किराये के घर पर सुंदर काण्ड का पाठ अवश्य कराते हैं।कीस जगन्नाथ मंदिर की अपनी पुरी धाम जैसी ही पाकशाला है जहां पर प्रतिदिन लगभग 2000 लोगों के लिए महाप्रसाद तैयार होता है। प्रोफेसर सामंत प्रतिदिन सुबह में अपने कीस जगन्नाथ मंदिर के सभी देवी-देवताओं के दर्शन करते हैं और उसके उपरांत ही वे कीस के एक कदंब के पेड के नीचे अपने आफिस में बैठकर कीट-कीस-कीम्स आदि संस्थाओं आदि की अनेकानेक समस्याओं को हंसते हुए सुलझाते हैं।वे सभी से प्रेम करते हैं तथा सभी के गुणों को देखते हैं,दोषों को नहीं।उनका कीट अगर एक बडा कारपोरेट है तो कीस उसकी सामाजिक जिम्मेदारी।प्रोफेसर अच्युत सामंत को ओडिशा प्रदेश, ओडिया जाति,ओडिया माटी,ओडिया भाषा,यहां की कला,संस्कार और संस्कृति से विशेष लगाव है।उनको ओडिशा के विज्ञान,साहित्य,खेलकूद,सिनेमा,ओडिशा की अनेकानेक प्रभिओं को पल्लवित तथा पुष्पित करने का भी अगाध शौक है। वे सतत उनके संवर्द्धन के लिए ही दिन-रात कार्य करते हैं।प्रोफेसर सामंत को आदिवासी समुदाय का जीवित मसीहा कहा जाता है। ओडिशा का अमृतपुत्र कहा जाता है। विदेह कहा जाता है। संतों के संत कहा जाता है और सही मायने में ओडिशा धरती-माटी के लाल भी कहा जाता है। उनकी विशेष आत्मीयता कीस है,कीस के तीस हजार से भी अधिक आदिवासी बच्चों से है जो कीस आज विश्व का सबसे बडा आदिवासी आवासीय विद्यालय ही नहीं अपितु विश्व का प्रथम आदिवासी आवासीय डीम्ड विश्वविद्यालय बन चुका है। प्रोफेसर सामंत स्वयं तो अविवाहित हैं लेकिन कीस के उन तीस हजार आदिवासी बच्चों के वे अपने पितातुल्य हैं जिनकी भलाई और जिनके सर्वांगीण विकास में वे सदा लगे रहते हैं। कीस भारत का दूसरा शांतिनिकेतन है। कीस विश्व का वास्तविक तीर्थस्थल है जहां चरित्रवान,प्रतिभावान,ईमानदार तथा समाज-देश के प्रति सच्चे मानव का निर्माण होता है। वहां पर संस्कार और संस्कृति की रक्षा होती है। वहां पर आदिवासी बच्चो को उत्कृष्ट शिक्षा, खेलकूद तथा पाठ्यसहगामी कार्यकलापों की सुविधा उनके द्वारा फ्री मिलती है। प्रोफेसर अच्युत सामंत का अपना पैतृक गांव कलराबंक आत्मनिर्भर गांव उनके द्वारा बन चुका है। कलराबंक गांव एशिया का स्मार्ट विलेज है जहां पर शहर जैसी तमाम(शिक्षा,स्वास्थ्य और खेलकूद आदि जैसी) की अत्याधुनिक सुविधाएं उनके ही सौजन्य से उपलब्ध हैं। वे अपने गांव से बेहद प्रेम करते हैं। एक सांसद के रुप में वे अपने लोकसभा संसदीय क्षेत्र कंधमाल को सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करा चुके हैं। जैसेः शिक्षा,स्वास्थ्य,रोजगार,उद्योग तथा स्वरोजगार आदि की सुविधा।उनका यह मानना है कि जबतक ओडिशा का सबसे कमजोर वर्ग विकसित हीं होगा तबतक ओडिशा के लौहपुरुष स्व.बीजू बाबू का सपना साकार नहीं होगा। ओडिशा के माननीय मुख्यमंत्री नवीन पटनायक जी का विकसित ओडिशा का सपना साकार नहीं हो पाएगा और प्रोफेसर उन दोनों के सपनों को साकार करने में लगे हुए हैं। प्रोफेसर अच्युत सामंत भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना भी बहुत पसंद है जिसके लिए वे ओडिशा की धरती-माटी के लाल के रुप में सतत कार्यरत हैं।
अशोक पाण्डेय
ओडिशा की धरती-माटी के लालः विदेह प्रोफेसर अच्युत सामंत
