भारत के शाश्वत मूल्यों तथा परम्पराओं को ध्यान में रखकर तथा अपनी-अपनी मातृभाषा का सम्मान करते हुए साहित्यकार साहित्य-रचना करें-आरएसएस प्रमुखःमोहन भागवत
भुवनेश्वरः21दिसंबरःअशोक पाण्डेयः
ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में पहली बार 19 दिसंबर से 21 दिसंबर,2023 तक (तीन दिवसीय अखिल भारतीय साहित्यिक परिषद,नई दिल्ली के तत्वाधान में) प्रबोधन कार्यशाला तथा सर्वभाषा साहित्यकार सम्मान आयोजित हुआ।20दिसंबर को आयोजित सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि आरएसएस प्रमुखःमोहन भागवत ने कुल 15 भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों को सम्मानित करते हुए अपने संबोधन में यह संदेश दिया कि साहित्याकर भारत के शाश्वत मूल्यों तथा परम्पराओं को ध्यान में रखकर तथा अपनी-अपनी मातृभाषा का सम्मान करते हुए अपनी-अपनी रचनाएं देशहित,समाज हित तथा राष्ट्रहित के लिए करें।उन्होंने जोर देकर यह कहा कि अगर भारत को आगे बढ़ाना है तो समाज में सत्य साहित्य का सृजन तथा उसका सभी देशवासियों तक पहुंचना जरूरी है।उन्होंने यह भी संदेश दिया कि भारत की विभिन्नता में एकता की ताकत है। उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ भारत के पास है दुनिया के अमन-चैन की चाभी।उन्होंने जोर देकर यह कहा कि सारी दुनिया अपने हित की चिंता करती है परन्तु भारत दुनिया के हित का सदैव खयाल रखता है।भारतीय साहित्यकारों को समस्त भारतवासियों को शाश्वत सत्य की जानकारी देनी चाहिए।उन्होंने कुल 14 साहित्यकारों को सम्मानित किया जिनमें संस्कृत के शिव बालक द्विवेदी, ओड़िया के वैष्णव चरण मोहंती, बंगाली के डा विदिशा सिन्हा, उर्दू के नुसरत मेंहदी, कोंकणी के डॉ भूषण भावे, मराठी के प्रो. श्यामा घोणसे, पंजाबी के पद्मश्री हरमेन्दर सिंह बेदी, मलयालम के आशा मेनन, सिंधी के डॉ कमल गोकलानी, कश्मीरी के डॉ महाराज कृष्ण भरत, असमिया के लिए पणिधर बोरा, मणिपुरी के शुभाग्नि देवी, तमिल के एस. शंकर सुब्रमण्यम, कन्नड़ के प्रेम शेखर, गुजराती के प्रो. भागीरथ भाई ब्रह्मभट्ट, तेलुगू के प्रो. काशी रेड्डी तथा हिंदी के डॉ सूर्यकुमार पाण्डेय आदि शामिल थे।आयोजन को सफल बनाने में कार्यक्रम संयोजक प्रकाश बेताला,निःस्वार्थ समाजसेवी अजय अग्रवाल,परिषद के संरक्षक तथा पूर्व अध्यक्ष डा.बलवंत भाईजानी, अध्यक्ष सुशील चंद्र द्विवेदी, राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर परादकर, राष्ट्रीय महामंत्री ऋषि कुमार मिश्र तथा आरएसएस बौद्धिक प्रमुख स्वांत रंजन आदि का सहयोग सराहनीय रहा।
अशोक पाण्डेय