अनुचिंतनः अशोक पाण्डेय
दो बातें हैः चुनौती और समाधान। चुनौती अगर किसी व्यक्ति विशेष की हो तो यह बात समझ में स्वतः आ जाती है कि व्यक्ति विशेष अगर विलक्षण प्रतिभावाला हो, कार्यसंस्कृति संपन्न हो तथा उसके व्यक्तित्व में किसी भी समस्या के तत्काल समाधान का असाधारण हुनर हो तो वह कामयाबी की ऊंची से ऊंची मंजिल तक पहुंच सकता है और लोग उसकी उन्मुक्त कण्ठ से प्रशंसा करते नहीं थकते हैं लेकिन अगर चुनौती वैश्विक महामारी कोरोना की हो जिसके संक्रमण के आगोश में पूरा विश्व आज है और उसका तत्काल समाधान किसी भी देश के पास नहीं है, तो यह बात अनुचिंतन की अवश्य बन जाती है कि कैसे वैश्विक महामारी कोरोना की चुनौती का समाधान भुवनेश्वर ओडिशा स्थित कीट-कीस के प्राणप्रतिष्ठाता तथा कंधमाल लोकसभा सांसद प्रोफेसर अच्युत सामंत के पास कैसे है ? यहां पर भी दो बातें उल्ल्खनीय हैःकोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती और दूसरी बात किसी भी चुनौती को चुनौती माननेवाला ही उसका समाधान निकालता है। गत वर्षः2020 मार्च में कोरोना संक्रमण ओडिशा में कमोबेस देखने को मिला। प्रोफेसर अच्युत सामंत ने सबसे पहला काम यह किया कि उन्होंने अपने द्वारा 1992-93 में भुवनेश्वर में स्थापित विश्व के सबसे बडे आदिवासी आवासीय विद्यालय कलिंग इंस्टीट्यूट आफ सोसल साइंसेज को तत्काल अनिश्चित काल के लिए बन्द कर दिया। कीस के तीस हजार से भी अधिक आदिवासी बच्चों को उनके गृह गांव पर उनके लिए सूखा भोजन,सूखा फल, बच्चों के पठन-पाठन से संबंधित समस्त संसाधन अपनी ओर से प्रति माह फ्री उपलब्ध कराना आरंभ कर दिया। बच्चों को आनलाइन क्लास के लिए मोबाइल सुविधा उपलब्ध कराई तथा अपने द्वारा स्थापित कलिंग टेलीविजन ओडिया क्षेत्रीय चैनल से उनके लिए नियमित क्लासेज की भी व्यवस्था आरंभ कर दी। कोरोना संक्रमण से कीट-कीस-कीम्स के कुल लगभग 11हजार स्टाफों को बचाने के लिए कुल लगभग 10करोड की लागत से कीस में सेनेटाइजर,वाटर बोटलिंग,केक बनाने,फिनाइल और मास्क आदि बनाना आरंभ कर दिया। अपने द्वारा 1992-93 में स्थापित कलिंग इन्स्टीट्यूट आफ इण्डस्ट्रियल टेक्नोलोजी,कीट को मार्च,2020 में ही बन्द कर लगभग 25हजार अपने डीम्ड विश्वविद्यालय कीट के बच्चों के लिए आनलाइन क्लासेज आरंभ कर दिये। अपने द्वारा स्थापित कीम्स मेडिकल कालेज और अस्पताल में ओडिशा सरकार की अनुमति तथा आदेश से तत्काल 500 बेडवाला कोविद-19 अस्पताल आरंभ कर दिये। उस अस्पताल में दक्ष डाक्टरों,नर्सों तथा पारामेडिकल स्टाफों की तैनाती कर दी। अपने संसदीय क्षेत्र कंधमाल समेत ओडिशा में तीन-तीन जिला कोविद-19 अस्पताल खोले। यही नहीं, कोरोना योद्धाओं ,साधु-संतों-महात्माओं,बौद्धों,पूजकों समेत आवारा पशुओं,कुत्तों तथा बन्दरों आदि को पूरे सालभर तक भोजन दिया। कोरोना से बचाव के लिए कीट-कीस के स्टाफ आदि को कोरोनायोद्धा- प्रबंधन कौशल प्रशिक्षण दिया। कीट-कीस-कीम्स के सभी महिलाओं को अपनी ओर से कोरोना का दोनों डोज मुफ्त लगवाया। सच कहा जाय तो 2021 में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से ओडिशावासियों को बचाने के लिए प्रोफेसर अच्युत सामंत ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। भुवनेश्वर समेत ओडिशा के सभी जिला मुख्यालयों में तथा जिला मुख्यालय अधिकारियों के सहयोग से अपनी ओर से फ्री लंच-डीनर आज भी वे उपलब्ध करा रहे हैं। आक्सीजन की कमी को ध्यान में रखकर तथा कोरोना मरीजों के उत्कृष्ट इलाज के लिए अपने रोज गार्डेन में उन्होंने छह सितारा कोविद-19 अस्पताल खोले हैं जहां पर कोरोना मरीजों का इलाज अतिथिदेवोभव के रुप में इन्डिविजूअल केअर के साथ चल रहा है। सच कहा जाय तो निर्विवाद रुप से यह ध्रुव सत्य है कि पिछले लगभग डेढ सालों से ओडिशा में चुनौती अगर कोरोना है तो उसका वास्तविक समाधान प्रोफेसर अच्युत सामंत हैं।
अनुचिंतनः अशोक पाण्डेय