Header Ad

Categories

  • No categories

Most Viewed

“ओम् और शांति ” विचार- विश्लेषण:

-अशोक पाण्डेय

———————-
ओम् बीज मंत्र है जबकि शांति जीवन का आधार है। ओम् परमपिता परमेश्वर का आह्वान है। ओम् प्राण का आधार है। ओम् पूज्य है। ओम् से ही विद्या निकलती है,ज्ञान प्रस्फुटित होता है जिससे ऋषि -मुनियों,देवताओं, जगतगुरुओं ,संत- महात्माओं और सज्जनों का सर्वांगीण विकास होता है। इससे हमारा अंत:करण और हमारी आत्मा शुद्ध होती है। ओम् वास्तव में आत्मप्रकाश है। ओम् चित्त की प्रसन्नता है। यह शरीर, वाणी और मन की भी पवित्रता है। यह वह संकल्प शक्ति है जिससे जप,तप, पूजा- पाठ, व्रत,यज्ञ और हमारा सनातन धर्म आदि चालित होते हैं। ओम् मनुष्य जीवन की अंतिम यात्रा का संदेश भी है: ओम् शांति! शांति!! शांति!!! मित्रवर, अगर ओम् और शांति को अपनाना है तो आज ही अपने -अपने निवास स्थल के प्रवेश द्वार पर ओम् का शुभ चिह्न अवश्य लगाएं क्योंकि
ओम् और शांति ही सनातनी आध्यात्मिक -जीवन के मूल आधार हैं।
-अशोक पाण्डेय

    Leave Your Comment

    Your email address will not be published.*

    Forgot Password