Header Ad

Categories

  • No categories

Most Viewed

कटक गीता-ज्ञान मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा का तीसरा दिवस

“संत की अमानत उसका आध्यात्मिक ज्ञान होता है।
सभी को मात्र सप्ताह के सात दिनों के अंदर ही कुछ अच्छा कर,नाम कर मरना होता है।
सभी की एक ही शिकायत रहती है कि उसके पास समय का घोर अभाव है।
सृष्टि का निर्माण कैसे हुआ,धर्म,ब्राह्मण,गाय,देवता और संतों की रक्षा के लिए ही नारायण का समय-समय पर अवतार होता है।“ –कथाव्यास,गौभक्त संत श्री सुखदेवजी महाराज
कपिलमुनि और शतरुपा जी की झांकी अलौकिक रही।

भुवनेश्वरः25मईःअशोक पाण्डेयः
कटक,तुलसीपुर स्थित गीता-ज्ञान मंदिर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिवस पर राजस्थान बिकानेर जिले से पधारे कथाव्यास ,गौभक्त संत श्री सुखदेवजी महाराज ने व्यासपीठ से श्रीमद् भागवत के उप्रयुक्त विभिन्न प्रसंगों का हृदयग्राही कथा सुनाये।व्यासपीठ पर उनका स्वागत जाने-माने समाजसेवी तथा गौभक्त डा विजय खण्डेलवाल ने किया।अवसर पर पधारे डा किशनलाल भरतिया ने व्यासपीठ के समीप जाकर व्यासजी के दर्शनकर उनका आशीष लिया। व्यासपीठ से कथाव्यास ने बताया कि संत की अमानत उसका आध्यात्मिक ज्ञान होता है।सभी को मात्र सप्ताह के सात दिनों के अंदर ही कुछ अच्छाकर,नामकर मरना होता है।सभी की एक ही शिकायत रहती है कि उसके पास समय का घोर अभाव है।सृष्टि का निर्माण कैसे हुआ,धर्म,ब्राह्मण,गाय,देवता और संतों की रक्षा के लिए ही नारायण का समय-समय पर अवतार होता है। अवसर पर प्रस्तुत कपिल मुनि तथा शातरुपा जी की झांकी अलौकिक रही। व्यासजी ने बताया कि शाश्वत मान्य 9 प्रकार की भक्ति में राजा परीक्षित-श्रवण भाव की भक्ति के आदर्श हैं।शुकदेवजी कीर्तन भाव की भक्ति के आदर्श।प्रह्लादजी स्मरण भाव की भक्ति के आदर्श ।श्री लक्ष्मीजी -पादसेवन भाव की भक्ति की आदर्श।पृथुजी अर्चनभाव की भक्ति के आदर्श।अक्रुरजी वंदन भाव की भक्ति के आदर्श।हनुमानजी दास्य भाव की भक्ति के आदर्श।अर्जुन-सखा भाव की भक्ति के आदर्श और राजा बलि -आत्मनिवेदन भाव की भक्ति के आदर्श हैं। व्सासजी ने यह भी बताया कि वेद का अर्थ ज्ञान है। हमारे चारों वेदों के कुल:20,307ज्ञान -मंत्र परमपिता परमेश्वर की विस्तृत जानकारी के मूल मंत्र हैं जिसके माध्यम से मानव कल्याण होता है।उन्होंने स्पष्ट किया कि सदाचारी जीवन ही सच्चे भक्त की वास्तविक पहचान होती है।सच्चे गोभक्त कथाव्यास जिनकी बिकानेर में वृद्ध गोशाला है। गौशाला में हजारों अपंग गायें हैं जिनकी सेवाकर वे परमसुख प्राप्त करते है।कथा 28मई तक नियमित प्रतिदिन अपराह्नः4.00 बजे से सायंकालः7.00 बजे तक अस्थाई रुप से तैयार वातानुकूलित मण्डप में चलेगी जिसमें सभी कथाश्रवण हेतु सादर आमंत्रित हैं।
अशोक पाण्डेय

    Leave Your Comment

    Your email address will not be published.*

    Forgot Password