कथाव्यास संत श्री सुखदेवजी महाराज“राजा बलि के रसातल भेजने,श्रीहरि के वामन अवतार तथा श्रीकृष्ण जन्मोत्सव आदि प्रसंगों पर प्रवचन दिया ।
भुवनेश्वरः26मईःअशोक पाण्डेयः
कटक,तुलसीपुर स्थित गीता-ज्ञान मंदिर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथाव्यास सुखदेवजी महाराज ने व्यासपीठ से श्रीमद् भागवत के राजा बलि के रसातल भेजने,वामन अवतार तथा श्रीकृष्ण जन्मोत्सव आदि प्रसंगों पर सुंदर प्रवचन दिया। उन्होंने सहनशील बनने का निवेदन करते हुए सहनशीलता के तीन लक्ष्ण बताये। सहनशील व्यक्ति को निन्दा का त्याग करना चाहिए। निर्मलभाव से संतोष को अपनाना चाहिए तथा आजीवन आनंदपूर्वक ईश्वर की आज्ञाओं का पालन कर श्रीहरि की भक्ति आजीवन करनी चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि भक्त को विनयपूर्वक ईश-भजन करना चाहिए।सेवा ससम्मानपूर्वक करना चाहिए तथा सज्जनों का सत्संग अवश्य करना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि प्रकृति के तीन गुण हैःसत्व,रज और तम। जैसाकि सर्व विदित है कि श्रीमद् भागवत कथा सुनाते हैं राजा बलि प्रसंग पर संत व्यास ने यह बताया कि श्रीहरि एक दीन-हीन का रुप धारण कर राजा बलि के समीप जाते हैं और उनसे मात्र तीन पग धरती की मांग हैं।श्री शुकदेव जी ने कहा कि जब देवराज इन्द्र बलि को पराजित कर उसकी सभी संपत्ति छीन ली तथा उसे रसातल भेज दिए तब वलि अपने दैत्य गुरु शुक्राचार्य के पास गया और शुक्राचार्य की संजीवनी से बलि पुनः जीवित हो गया। बलि ने अपने दैत्य गुरु की असीम कृपा पर प्रसन्न होकर उन्हें अपना सर्वस्व दे दिया। ठीक उसी प्रकार श्रीकृष्ण जन्मोत्सव प्रसंग का गुरुदेव ने वात्सल्यभाव से परिपूर्ण अति मोहक प्रवचन दिया।
अशोक पाण्डेय