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कथाव्यास आचार्य गिरिधर गोपाल शास्त्री द्वारा रामकथा के चौथे दिवस पर सीताराम विवाह जैसे अनेक रोचक प्रसंगों पर हुआ प्रवचन

भुवनेश्वरः22जुलाईःअशोक पाण्डेयः
हरिबोल परिवार,भुवनेश्वरद्वारा स्थानीय तेरापंथ भवन में आयोजित रामकथा के चौथे दिवस पर व्यासपीठ से सीताराम विवाह जैसे अनेक रोचक प्रसंगों पर कथाव्यास आचार्य गिरिधर गोपाल शास्त्री ने प्रवचन दिया। उन्होंने बताया कि 16 संस्कारों में से विवाह संस्कार सबसे महत्त्वपूर्ण है। व्यासजी ने बताया कि रामचरितमानस के बालकाण्ड में महाकाव्य के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास ने राम द्वारा बाल लीलाओं उसके उपरांत अयोध्या काण्ड में रामसीता विवाह लीला तथा लंकाकाण्ड में राम द्वारा उनकी बल लीलीओं को प्रमुखता से जानकारी दी। वहीं विवाह के अवसर पर दोनों पक्षों की ओर से आव-भगत,आदर-सत्कार आदि की भी सुंदर जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि राजा दशरथ की प्रसन्नता राम के राजतिलक की किस प्रकार रानी कैकेई के कोपभवन में जाने तथा उसके तीन वरदान मांगने के साथ ही समाप्त हो जाती है। उसका भी वे भावग्राही वर्णन अपनी आज की कथा में किए। वहीं उन्होंने कैकेई की दासी मंथरा की कुटिल बुद्धि का भी वर्णन किया जिसके परिणामस्वरुप राम को चौदह वर्षों के लिए तपस्वी के वेष में जंगल जाना पडा।व्यासजी ने आज के प्रसंग में राजनीति तथा राजधर्म की भी सुंदर व्याख्या की। उन्होंने बताया कि आनेवाले कल के दिन राम का राज्याभिषक होना था लेकिन विधि का विधान देखिए कि उन्हें वैवाहिक सुख का त्यागकर जंगल जाना पडा। कथाव्यास ने आज की कथा को विराम देने से पूर्व यह जानकारी दी कि आज का प्रसंग सीताराम विवाह का है,खुशी का है ऐसे में राम वनगमन प्रसंग की जानकारी देना आज बिलकुल उचित नहीं होगी । इसलिए रामवनगमन आदि प्रसंगों की जानकारी वे 25 जुलाई की कथा में सुनाएंगे। आरती के उपरांत सभी ने प्रसाद लिया।
-अशोक पाण्डेय

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