मातृभाषा अभिव्यक्ति का उत्तम माध्यम है-मुख्यअतिथि पी.एस. श्रीधरन पिल्लई ,राज्यपाल,गोवा
भुवनेश्वरः4जुलाईःअशोक पाण्डेयः
भुवनेश्वर, जयदेवभवन में 2 मार्च को सायंकाल ओडि़या मासिक पारिवारिक पत्रिका ‘कादंबिनी’ की 24वीं वर्षगांठ और बच्चों की लोकप्रिय ओडि़या पत्रिका ‘कुनीकथा’ की 13वीं वर्षगांठ आयोजित की गई। इस मौके पर बतौर समारोह के मुख्यअतिथि के रुप में गोवा के मान्यवर राज्यपाल पी.एस. श्रीधरन पिल्लई ने हिस्सा लिया और अपने संबोधन में कहा कि मातृभाषा अभिव्यक्ति का उत्तम माध्यम है। श्री पिल्लई ने कहा , ”ओडिशा का इतिहास, विरासत और संस्कृति ही जीवन है।” ओड़िया एक प्राचीन भाषा है। ओड़िया साहित्य का एक समृद्ध इतिहास रहा है। सरला दास, कवि सम्राट उपेन्द्र भंज, सेनापति फकीर मोहन जैसे महान साहित्य और कवियों ने ओड़िया भाषा को समृद्ध किया है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि ओड़िया साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए चार लोगों को प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है। यह हम सभी के लिए गर्व और गौरव की बात है।’ आज सूचना और प्रौद्योगिकी ने प्रमुख स्थान ले लिया है, लेकिन पत्रिकाएँ और समाचार पत्र अभी भी महत्वपूर्ण हैं। मातृभाषा में व्यक्ति अपनी भावनाओं को ठीक से व्यक्त कर सकता है और उन्हें ठीक से ग्रहण कर सकता है। प्रत्येक शिक्षण संस्थान को मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा देनी चाहिए। इसीलिए हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में मातृभाषा को महत्व दिया गया है। इस अवसर पर सम्मानित अतिथि के रुप में योगदान कर भोपाल रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय और छत्तीसगढ़ सिविरमण विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. संतोष चौबे ने कहा कि ओड़िया भाषा के साहित्य में परंपरा और आधुनिकता दोनों देखी जा सकती हैं। आजकल स्थानीय भाषा में बहुत अच्छा काम हो रहा है। हमें आशा और विश्वास है कि यह और बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि, सभी भारतीय भाषाओं के बीच सम्मान और सद्भावना होनी चाहिए। श्री चौबे ने कहा कि प्रत्येक स्थानीय भाषा को अन्य भाषाओं का साहित्यिक अनुवाद होना चाहिए। परिणामस्वरूप, हम सभी संस्कृति और परंपरा और पारंपरिक भाषा साहित्य को जान सकते हैं। इस मौके पर कादंबिनी पुरस्कार-2023 से सम्मानित संबलपुरी कवि पद्मश्री हलधर नाग ने कहा कि ‘रूढ़िवादी मिट्टी में महक है’ हमारे कवियों, लेखकों और लेखिकाओं का पूरा विश्व सम्मान करता है। साहित्य सदैव समाज में परिवर्तन लाने वाला और मानव जीवन को प्रभावित करने वाला होना चाहिए। इसमें भाषा कोई बाधा नहीं है। इसलिए आपके लिखने की भाषा और ढंग ऐसा होना चाहिए कि हर कोई उसे समझ सके। इस वर्ष अरविंद रॉय को ‘कादंबिनी गद्य पुरस्कार – 2023’, सेनापति प्रद्युम केशरी को ‘कादंबिनी काव्य पुरस्कार-2023’, स्वराज बारिक और संलेशा पटेल को ‘कादंबिनी प्रच्छदशिल्पी पुरस्कार-2023’, बिंध्याबासिनी जेना को ‘कादंबिनी आम रोसेई अवॉर्ड-2023’, इंदुमती राय और मेजर डॉ. सुमित्रा मिश्रा को ‘कादंबिनी प्रिय पाठक संवर्धन-2023’ से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर ‘कादंबिनी साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित डाॅ. इति सामंत का निबंध-संग्रह ‘महियासी, गरियासी: भारतीय स्त्री छवि’, निबंध-संग्रह ‘बामा मुद्दे और अन्य’ और लघु-कहानी संग्रह ‘कथास्रोत’ का अनावरण किया गया। इस मौके पर ‘कादंबिनी के संस्थापक प्रो अच्युत सामंत ने स्वागत भाषण दिया तथा आमंत्रित मंचासीन मेहमानों का स्वागत उन्हें स्मृतिचिह्न आदि भेंटकर किया।’कादंबिनी की संपादक डॉ. इति सामंत ने आभार व्यक्त किया।
अशोक पाण्डेय