Header Ad

Categories

  • No categories

Most Viewed

कीट में तीन दिवसीय त्रिभाषी संगोष्ठी आयोजित

ओड़िशा के मान्यवर राज्यपाल ने अपने संबोधन में कीट -कीस के संस्थापक प्रोफेसर अच्युत सामंत की तारीफ करते हुए साहित्य को समाज का प्रतिबिंब बताया जिसके लिए प्रो अच्युत सामंत वचनबद्ध हैं। राज्यपाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर साहित्यकार उठाएं आवाज।

भुवनेश्वर: 19 जनवरी : अशोक पाण्डेय:
साहित्य समाज का सजीव प्रतिबिंब होता है और यह समाज, संस्कृति, पर्यावरण और जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने के साथ-साथ उनके सुधार और संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति ने भुवनेश्वर में आयोजित 8वीं राष्ट्रीय संगोष्ठी में “भारत की भाषाओं, साहित्य और संस्कृति पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव” और बहुभाषी कवि सम्मेलन के अवसर पर साहित्यकारों और कवियों से जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर विषय पर अपनी आवाज बुलंद करने की अपील की। राज्यपाल ने कहा कि साहित्यकार अपनी लेखनी के माध्यम से समाज और पर्यावरण के बीच सामंजस्य स्थापित करने की दिशा में कार्य कर सकते हैं। उन्होंने इस तथ्य को दोहराया कि “कलम तलवार से अधिक शक्तिशाली है” और इसे समय की मांग बताया कि कवि और साहित्यकार पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन, और प्राणी जगत को स्वस्थ रखने के लिए जन-जागृति पैदा करें। संगोष्ठी के दौरान राज्यपाल ने भारतीय भाषाओं और साहित्य के अद्भुत इतिहास की चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय साहित्य और संस्कृति में पर्यावरणीय चेतना हमेशा से समाहित रही है। राज्यपाल ने कवि सम्मेलन में मौजूद साहित्यकारों और कवियों से आग्रह किया कि वे जलवायु परिवर्तन के विषय को अपनी रचनाओं का केंद्र बनाएं। उन्होंने कहा कि आपकी लेखनी में वह ताकत है जो समाज को जागरूक कर सकती है। आपकी रचनाएं न केवल वर्तमान पीढ़ी को प्रेरित करेंगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मजबूत आधार भी तैयार करेंगी। उन्होंने कहा कि कवियों की जिम्मेदारी है कि वे अपने सृजन के माध्यम से पर्यावरणीय चेतना को जन-जन तक पहुंचाएं। उन्होंने संगोष्ठी में भाग लेने वाले सभी साहित्यकारों से आह्वान किया कि वे जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों को रचनात्मक रूप से प्रस्तुत करें और इसे समाज के हर वर्ग तक ले जाएं। कीट डीम्ड विश्वविद्यालय और कीट डीम्ड विश्वविद्यालय की ओर से ओड़िशा के माननीय राज्यपाल का स्वागत कीट -कीस परम्परा के तहत प्रो अच्युत सामंत ने किया। वहीं विश्वमुक्ति त्रैमासिक पत्रिका की ओर से संरक्षक डॉ प्रसन्न कुमार पाटशाणी और सम्पादक डॉ शशांक चूड़ामणि ने मुख्य अतिथि ओड़िशा के राज्यपाल के प्रति हार्दिक आभार जताया।
अशोक पाण्डेय

    Leave Your Comment

    Your email address will not be published.*

    Forgot Password