भुवनेश्वर, 24 सितम्बर:
कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (कीस) जो हज़ारों छात्रों के जीवन को संवार रहा है, आत्मनिर्भर बना रहा है वह भी केजी कक्षा से लेकर पीजी कक्षा तक नि:शुल्क और उत्कृष्ट शिक्षा के द्वारा उसी कीस की एक मेधावी शोधार्थी जामुनी झांकार, जिन्हें चुकतिया भुंजिया जनजाति (विशेष रूप से असुरक्षित जनजातीय समूह – PVTG), जो नुआपाड़ा जिले के दूरस्थ वन क्षेत्रों में निवास करती है, से पहली शोध छात्रा बनने का गौरव प्राप्त हुआ है। जामुनी ने कीस में शोध छात्रा के रूप में प्रवेश लिया और सफलतापूर्वक अपना शोध कार्य पूर्ण करने के बाद अब उन्हें पीएच.डी. की उपाधि के लिए योग्य घोषित किया गया है। 30 वर्षीय इस आदिवासी शोधार्थी ने आयुर्वेदिक औषधियों पर पीएच.डी. पूरी की है। उसका शोध विशेष रूप से वैदिक चिकित्सा, औषधीय गुणों और आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों की खुराक पर केंद्रित है। उन्होंने नुआपाड़ा और आसपास के जिलों में व्यापक शोध किया और परंपरागत वैद्यों व आयुर्वेद चिकित्सकों से संवाद कर स्थानीय जानकारियों का संकलन किया। उनका यह कार्य प्राचीन ज्ञान को आधुनिक विज्ञान से जोड़ने के साथ-साथ आदिवासी चिकित्सा पद्धतियों को भी संरक्षित करता है। जामुनी ने आयुर्वेदिक चिकित्सा में अपना शोध पूरा कर एक चमत्कार कर दिया है। उनके पिता बिजय झांकार और माता बैदेही की शिक्षा-प्रेरणा के कारण ही जामुनी और उनकी छह बहनें सभी शिक्षित हो पाईं। उनकी इस असाधारण उपलब्धि की व्यापक सराहना हुई है। ओडिशा विधानसभा की अध्यक्ष सुरमा पाढी, उपमुख्यमंत्री श्री के वी. सिंहदेव और प्रभाती परिडा ने उन्हें बधाई दी है। आज जामुनी ने स्वयं जाकर डॉ. अच्युत सामंत, कीट और कीस के संस्थापक से आशीर्वाद लिया। डॉ. सामंत ने उनकी सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त की जश्न और उसके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ दीं। अब जामुनी आदिवासी बच्चों के लिए प्रेरणा बन गई हैं। गौरतलब है कि कीस विश्व का सबसे बड़ा आदिवासी शैक्षणिक संस्था है, जिसमें विद्यालय, महाविद्यालय और डीम्ड विश्वविद्यालय सम्मिलित हैं। यहाँ पढ़ने वाले अनेक वंचित आदिवासी छात्र डॉक्टर, इंजीनियर, प्राध्यापक, ओएएस और ओजेएस अधिकारी बने हैं, तो कई कीट, एनआईटी और आईआईएम जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। शैक्षणिक क्षेत्र के अलावा कीस के छात्र ओडिशा राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में भी राज्य और देश का गौरव बढ़ाते हैं। अपनी सफलता पर आभार व्यक्त करते हुए जामुनी ने डॉ. सामंत, कीस डी.यू. और अपनी शोध-निर्देशिका डॉ. रश्मि महापात्रा को धन्यवाद दिया।
कीस की मेधावी छात्रा जामुनी झांकार बनीं चुकतिया भुंजिया जनजाति की पहली शोधार्थी
