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कीस को मिले यूनिस्को साहित्य सम्मानः2022 नेमहान

शिक्षाविद् प्रोफेसर अच्युत सामंतको
पूरे विश्व में बना दिया जीवित मसीहा

-अशोक पाण्डेय,
राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त
संस्थापकः दो डीम्ड विश्वविद्यालय,कीट-कीसभुवनेश्वर, ओडिशा तथा मान्यवर कंधमाल लोकसभा सांसद महान शिक्षाविद् प्रोफेसर अच्युत सामंत को कीस को हाल ही मिले यूनिस्को साहित्य सम्मानः2022 ने पूरे विश्व में आदिवासी बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए जीवित मसीहा बना दिया है।प्रोफेसर सामंत को उसके लिए यूएन समेत विश्व के लगभग 120 देशों से बधाई मिल चुकी है। उनकी शैक्षिक क्रांति की तारीफ भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी तथा ओडिशा के माननीय मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक आदि दे चुके हैं। ओडिशा के मान्यवर राज्यपाल प्रोफेसर गणेशीलाल जी तो प्रोफेसर अच्युत सामंत को आदिवासी कल्याण हेतु देवदूत घोषित कर चुके हैं। शिक्षाजगत के अनेक विद्वानों ने तो प्रोफेसर सामंत को ओडिशा का अमृतपुत्र घोषित कर दिया है। जनवरी,1965 में जन्मे तथा भुवनेश्वर उत्कल विश्वविद्यालय से 1987 में एम.एससी करनेवाले प्रोफेसर अच्युत सामंत सामाजिक विज्ञान विषय में डाक्टरेट हैं।उनके पास कुल 33 वर्षों के शिक्षण का लंबा अनुभव है जबकि वे मात्र 22 साल की उम्र से ही शिक्षणकार्य आरंभ किये थे।प्रोफेसर सामंत सबसे कम उम्र के कीट डीम्ड विश्वविद्यालय,भुवनेश्वर के संस्थापक कुलाधिपति रह चुके हैं।ये विश्व के प्रथम आदिवासी आवासीय कीस डीम्ड विश्वविद्यालय,भुवनेश्वर के संस्थापक कुलाधिपतिहैं।2018-19 में वे राज्यसभा के बीजू जनतादल सांसद मनोनीत हुए और आज वे बीजू जनतादल से कंधमाल लोकसभा सांसदहैं। कुल 50 से भी अधिक राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय अवार्ड के साथ-साथ कुल लगभग 200 से भी अधिक राजकीय सम्मानों तथा प्रशंसाओं के साथ-साथ उन्हें मंगोलिया तथा बहरीन के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है।1992-93 में वे अपनी कुल जमा पूंजी मात्र 5000 रुपये (लगभग 100 अमरीकी डालर) से उन्होंने कीट(केआईआईटी तथा कीस(केआईएसएस) की शुरुआत एक किराये के मकान में भुवनेश्वर में शुरुआत की।आज कीट में भारत समेत पूरे विश्व से कुल लगभग 35000 युवा उच्च तथा तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। आज विश्व में कीट डीम्ड विश्वविद्यालय भारत से चयनित कुल 8 विश्वविद्यालयों के भीतर प्रतिष्ठित है।वहीं कीस भुवनेश्वर (कलिंग इंस्टीट्यूट आफ सोसल साइंसेज) में कुल 35हजार से भी अधिक आदिवासी बच्चे प्रतिवर्ष समस्त आवासीय सुविधाओं का निःशुल्क उपभोग करते हुए केजी कक्षा से लेकर पीजी कक्षा तक उत्कृष्ट शिक्षा प्राप्त करते हैं।सच कहा जाय तो औपचारिक शिक्षा,पेशेवर शिक्षा,स्वास्थ्य,कला,संस्कृति,साहित्य,ग्रामीण विकास,सामाजिक सेवा,बहुआयामी भाषा प्रयोगशाला तथा आध्यात्मिक विकास में प्रोफेसर अच्युत सामंत का योगदान अतुलनीय है।प्रोफेसर अच्युत सामंत ने अपने गांव कलराबंक को स्मार्ट गांव बना दिया है।उनकी पंचायत माणपुर आदर्श पंचायत बन चुकी है।प्रोफेसर अच्युत सामंत ने 1987 से एक लक्ष्य निर्धारित किया है-जीरों पोवर्टी,जीरों हंगर तथा जीरो अशिक्षा जिसकी कामयाबी के लिए वे प्रतिदिन 18-18 घण्टे काम करते हैं।

प्रोफेसर अच्युत सामंत मानते हैं किजीवन का सबसे बडा सत्य है कि गरीबी है जो पाप को जन्म देती है।पापी पेट कुछ भी गलत कर सकता है। लेकिन प्रोफेसर सामंत की बाल्यकाल की घोर गरीबी ने उन्हें सच्चा मानव बना दिया है।आदिवासी समुदाय का जीवित मसीहा बना दिया है। गरीबी ने उनको संकल्पित कर दिया है कि वे आजीवन अविवाहित रहकर गरीबों की सेवा करेंगे। समाज के वंचित तथा उपेक्षित लोगों को विकास की मुख्य धारा के साथ जोडेंगे। उनको अपने द्वारा स्थापित कीस में निःशुल्क पढाकर उनके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करेंगे।उनको विकास के सभी प्रकार के अवसर उपलब्ध कराएंगे।उन्हें आत्मनिर्भर बनाएंगे।उत्कृष्ट शिक्षा के माध्यम से दुनिया से गरीबी का उन्मूलन करेंगे।भूखमरी को समाप्त करेंगे।वे स्वामी विवेकानन्द,रवीन्द्र नाथ टैगोर,राष्ट्रपिता महात्मागांधी,डा भामराव अंबेदकर,ओडिशा के लौहपुरुष स्व.बीजू पटनायक और वर्तमान मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक से सपनों को साकार करने में लगे हुए हैं। वे शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल,अनुसंधान, विकास,आदिवासी सशक्तिकरण,आदिवासी महिला सशक्तिकरण,महिला सशक्तिकरण, महिला अधिकारों की हिफाजत, बालप्रतिभा, युवा प्रतिभा, सिनेमा, साहित्य, कला,संस्कृति, पत्रकारिता, मीडिया तथा आध्यात्मिकता का उनके द्वारा सतत विकास हो।प्रोफेसर अच्युत सामंत एक महान शिक्षाविद हैं।सामाजिक कार्यकर्ता हैं। सच्चे मानवतावादी हैं। सहृदय और परोपकारी इंसान हैं।उनका वास्तविक जीवन-दर्शनः आर्ट आफ गिविंग को अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता मिल चुकी है। 2022 में अन्तर्राष्ट्रीय आर्ट आफ गिविंग को 17मई को विश्व के कुल 120 देशों के लगभग पांच करोड लोगों ने अपनी ओर से स्वेच्छापूर्वक मनाया।प्रोफेसर सामंत को अबतक कुल 48 मानद डाक्टरेट की डिग्री भी मिल चुकी है।हाल ही में कीस को मिले यूनिस्को साहित्य सम्मानः2022 से महान शिक्षाविद् प्रोफेसर अच्युत सामंत अत्यंत प्रसन्न हैं क्योंकि यूनिस्को साहित्य सम्मान-22 ने कीस को ओडिशा,भारत तथा पूरे विश्व में प्रतिष्ठित कर दिया है।
-अशोक पाण्डेय

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