-अशोक पाण्डेय
वैसे तो इस सृष्टि में किसी की भी इच्छाएं, आवश्यकताएं, कामनाएं, तृष्णाएं और वासनाएं कभी भी पूरी नहीं होती हैं।फिर भी दैत्यों जिनमें हिरण्याक्ष, रावण आदि जैसे अनेक दैत्य हुए जिनके पास बहुत से संसाधन होते थे, उनके पास विपुल भण्डार था,वे सभी को अपने अपने वश में कर रखे थे फिर उनकी महात्वाकांक्षाएं कभी पूरी नहीं हुईं। सच तो यह है कि आत्मा और परमात्मा के बीच एक मिलन विराम होता है जिसे देव मानव कहते हैं जिसके अन्तर्गत ऋषिगण आते हैं और सिर्फ उन्हीं की ही समस्त कामनाएं पूर्ण होती हैं।हो सके तो आप अपनी कामनाओं को अपने वश में रखें, देखिए आप भी खुश रहेंगे।
-अशोक पाण्डेय
