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“गाय हो तो कामधेनु और सुरभि जैसी हो।”

-अशोक पाण्डेय

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भारत राम, कृष्ण, गौतम और महावीर का देश है।यह ऋषि -मुनियों की तपोस्थली है। गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं : भगवान श्रीराम के अवतार का मूल उद्देश्य ब्राह्मण,गाय, देवता और संतों आदि की रक्षा और कल्याण ही है। भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का अवतार मध्यप्रदेश की वह पहाड़ी रही जहां के जानापांव नामक गांव के उनके घर में‌(घांस-फूस की झोपड़ी में) सुरभि नामक गाय थी जो मनोवांछित फल देती थी। ऐसी पुष्ट जानकारी है कि वह कामधेनु की ही बछिया है। आज लगता है कि सनातन धर्म- पथ पर चलने के लिए प्रत्येक सनातनी घरों में गाय रखने की आवश्यकता है। गाय की सेवा और गाय की पूजा करने की आवश्यकता है। गौरतलब है कि एक गाय के शरीर में तैंतीस प्रकार के देवी-देवता का वास है । इसलिए यह मानकर कि आपकी गाय कामधेनु और सुरभि जैसी ही है ,उसकी नित्य सेवा करें और मन,तन और धन से उसकी पूजा करें!
-अशोक पाण्डेय

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