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“गुरु एक परन्तु उनकी शिक्षा का ग्रहण बुरा भी अच्छा भी।”

-अशोक पाण्डेय

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गुरु जो सद्गुरु होते हैं वे अपने शिष्यों को दुनिया का महानतम व्यक्तित्व भी बनाता है और सबसे बड़ा दुराचारी भी। गुरु वसिष्ठ, गुरु विश्वामित्र, गुरु द्रोणाचार्य और गुरु शुक्राचार्य आदि ने अपने शिष्यों को ज्ञानवान, विवेकी, सदाचारी,सभी प्रकार की शिक्षा प्रदान की। यहां तक कि परा और अपरा की भी शिक्षा दी। उपर्युक्त सभी गुरुओं ने अपने -अपने शिष्यों की जिज्ञासा को बढ़ाया, उन्हें सही दिशा निर्देश दिया। ग्रहण करना तो शिष्यों की मानसिकता पर निर्भर करता है।
एक संत की कुटिया में दो शिष्य रहते थे। जब संत को लगा कि उनकी शिक्षा पूरी हो चुकी है तब उन्होंने दोनों शिष्यों से एक प्रश्न पूछा। संत का प्रश्न था: दिन अच्छा होता है या रात? एक शिष्य ने रात को अच्छा बताया जबकि दूसरे ने दिन को। जबकि हमसभी जानते हैं कि दिन सबके लिए अच्छा होता है। मित्र, अपनी-अपनी सोच को सकारात्मक बनाइए।
-अशोक पाण्डेय

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