जिस प्रकार सनातनी संस्कृति के प्राण हैं श्रीराम ठीक उसी प्रकार आप सभी उस संस्कृति के सच्चे रक्षक और प्रचारक हैं.
आप उस प्रातः स्मरणीय, दर्शनीय, वंदनीय और अनुकरणीय मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जैसे तपस्वी राजा बनें! तपस्वी राजा का अभिप्राय त्यागमय जीवन से है, परोपकार से है.
जय लोकेश्वर!