-अशोक पाण्डेय.
जीवन जीना निश्चित रूप से एक कला है जिसकी जानकारी अपेक्षा है। मेरा व्यक्तिगत ज्ञान और अनुभव कहता है कि दुनिया में जो भी संतोषी है उसका जीवन खुशहाल है। उदाहरण स्वरुप अधिकांश पश्चिम बंगाल के लोगों का व्यक्तिगत जीवन संतोषी और खुशहाल है। आमदनी अगर सौ रुपए है तो खर्चा सत्तर रुपए है। घर अगर एक कमरे का है तो उसी एक कमरे में सभी प्रकार से सुव्यवस्थित रहकर वह परिवार सानंद जीवन यापन करता है। अगर आमदनी बहुत ही कम है तो वह दोनों शाम की रोटी की व्यवस्था अर्थात् खाना पकाने का काम एक ही समय में करता है। अगर वह व्यक्ति गरीब किसान है तो भी अपने घर के समीप ही अपने तालाब में मछली पालन सिर्फ अपने लिए करता है। मछली -भात खाकर वह परिवार संतोष के साथ रहता है। घर का प्रत्येक सदस्य कामकाज करता है। आंकड़े बताते हैं कि भारत की जितनी भी संघ लोकसेवा की प्रतियोगिता परीक्षाएं हैं उनमें सबसे अधिक एक समय में पश्चिम बंगाल के मेधावी प्रतियोगी कंपीट करते थे। उनके जीवन की सबसे बड़ी विशेषता है उनकी धार्मिक भावना और भगवान जगन्नाथ के दर्शन करना। सैर-सपाटा करना आदि। मान्यवर,हो सके तो आपभी संतोष और सानंद के साथ जीवन की अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियों में जीना सिखें!
-अशोक पाण्डेय









