Header Ad

Categories

  • No categories

Most Viewed

“जीवन जीना भी एक कला है। जीवन में जिसने नवीनता को न अपनाया तो उसका जीवन नरक के समान है।”

-अशोक पाण्डेय

28 दिसंबर,2024
——————-
गुरु वसिष्ठ ने श्रीराम और उनके भाइयों को नवीनता को अपनाने का संदेश दिया। शांतिदूत श्रीकृष्ण ने भी विशेषकर अर्जुन को नवीनता को अपनाने का संदेश दिया। आध्यात्मिक जगत से अलग डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने भी नवीन कल्पना करने का संदेश दिया। और यह भी सच है -“कल्पना करो,नवीन कल्पना करो।”श्रीमद् भागवत पुराण कहता है कि उसी व्यक्ति का जीवन सार्थक है जिसने प्रतिपल और प्रतिदिन नवीनता को अपनाता है। नवीनता सोच में, विचार में,कार्य में और व्यवहार आदि में।नदी का जल इसलिए पवित्र होता है क्योंकि वह सतत प्रवाहमान होता है। श्रीराम की कथाएं, श्रीमद् भागवत की कथाएं और श्रीकृष्ण आदि की समस्त कथाओं में नवीनता है।
मान्यवर, नवीनता मनुष्य जीवन की जाग्रत अवस्था का नाम है। इसलिए हमेशा वर्तमान में रहकर समस्त सद्ग्रंथों के सार को , व्यासपीठ के सद्गुरुओं से और सत्संग से नवीनता को अपनाएं। रामायण अच्छी बात कहती है –
“हमें निज धर्म पर चलना बताती रोज रामायण।
सदा शुभ आचरण करना सिखाती रोज रामायण।।”
-अशोक पाण्डेय

    Leave Your Comment

    Your email address will not be published.*

    Forgot Password