प्रस्तुतिःअशोक पाण्डेय
राष्ट्रपति पुरस्कारप्राप्त
उत्कृष्ट कलाओं के प्रदेश,ओडिशा प्रदेश (भगवान जगन्नाथ के देश) के वास्तविक देवदूत,आदिवासी समुदाय के जीवित मसीहा,इस प्रदेश के अमृतपुत्र,राजा जनक की तरह विदेह,संतों के संत,उत्कल की धरती-माटी के लाल तथा सनातनी जीवन मूल्यों के वास्तविक संरक्षक और सच्चे मार्गदर्शक हैं प्रो. अच्युत सामंत, संस्थापकः कीट-कीस तथा कंधमाल लोकसभा सांसद महान् शिक्षाविद् प्रो. अच्युत सामंत।जैसाकि सभी जानते हैं कि आज के पश्चिमी चकाचौंध में सबसे जरुरी है जीवन-मूल्यों की हिफाजत की,उसके संरक्षण के साथ-साथ अपने आचरण और व्यवहार में अपनाने की और आज यह दायित्व प्रो.अच्युत सामंत 1992-93 से वखूबी निभा रहे हैं।गौरतलब है कि सनातनी जीवन मूल्य सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, संतोष,मन,वचन और कर्म से शुद्धता, आत्मसंयम,जगन्नाथ तथा हनुमान भक्ति,आध्यात्मिक जीवन और विवेक, अनासक्ति,आत्मानुशासन,पवित्रता, इंद्रियनिग्रह, सहिष्णुता, क्षमा, साहस, करुणा, परमार्थ, सीधापन,विनय भाव, सहनशीलता, मानवसेवा, माधवसेवा,लोकसेवा तथा जन सेवाभाव, सत्संगति, निर्भयता, स्थीर चित्तता, निरहंकार, मैत्रीभाव, उदारता,कर्तव्यनिष्ठा,आत्मविश्वासी तथा धीरज आदि हैं।–इन समस्त जीवन-मूल्यों को अपने व्यक्तिगत जीवन में अपनाकर प्रो अच्युत सामंत अपनाकर जीवन-मूल्यों के संरक्षक बन चुके हैं।इनकी माताजी स्व.नीलिमारानी सामंत तथा पिताजी स्व. अनादिचरण सामंत ही इनके सफल जीवन के सच्चे गुरु हैं। अपनी स्वर्गीया मां के आशीर्वाद से ही प्रो. अच्युत सामंत विश्व के महान शिक्षाविद् हैं।ये संवेदनशील संस्कार के अनूठे व्यक्तित्व हैं।जीवन के बुरे दिनों में धीरज धारण करने का गुरुमंत्र जो इनको अपनी मां से बाल्यकाल में मिला उसी के बदौलत ये मर्यादित,अनुशासित, सादगीपूर्ण,सदाचारी,परोपकारी तथा स्वावलंबी बने हैं। इनके सहृदय दिल में करुणा,दया,प्रेम तथा संवेदनशीलता है,दुख में दिनों में धीरज है।एकतरफ जहां लोग गांव से पलायन कर रहे हैं वहीं ये अपने भगीरथ प्रयास से अपने पैतृक गांव कलराबंक को आत्मनिर्भर गांव बना दिये हैं। इनका कलराबंक गांव एशिया का स्मार्ट गांव बन चुका है।गांव के लोगों के उत्तम स्वास्थ्य,कृषि तथा रोजगार के पर्याप्त संसाधन इनके द्वारा उपलब्ध हैं। उस गांव में वाईफाई सुविधा भी उपलब्ध है।इनकी पंचायत भाडपुर पंचायत भी 2016 से मॉडेल पंचायत बन चुकी है। इन्होंने अपनी कुल जमा पूंजी मात्र पांच हजार रुपये से 1992-93 में दो शैक्षिक संस्थान,कलिंग इंस्टीट्यूट आप इंडस्ट्रियल टेक्नालाजी(कीट)तथा कलिंग इंस्टीट्यूट आफ सोसल साइंसेज(कीस) की स्थापना एक किराये के मकान में की।पुरुषार्थ तथा भाग्य के धनी प्रो. अच्युत सामंत की दोनों शैक्षिक संस्थाएं -कीट-कीस आज जो डीम्ड विश्विद्यालय बन चुकीं हैं।प्रो.अच्युत सामंत की विशेष आत्मीयता कीस से है,कीस के लगभग चालीस हजार आदिवासी बच्चे अविवाहित प्रो. सामंत की अपनी संतान हैं और उन बच्चों के लिए कीस ही उनका अपना घर है। सच कहा जाय तो कीस आज विश्व का सबसे बडा आदिवासी आवासीय विद्यालय ही नहीं अपितु विश्व का प्रथम आदिवासी आवासीय डीम्ड विश्वविद्यालय बन चुका है।कीस भारत का दूसरा शांतिनिकेतन है। विश्व का वास्तविक तीर्थस्थल है जहां पर चरित्रवान,प्रतिभावान,ईमानदार,निःस्वार्थ समाजसेवी तथा सच्चे देशभक्तों का निर्माण होता है। कीस में सही मायने में आदिवासी संस्कार और संस्कृति सुरक्षित है।पिछले लगभग 25 सालों से मैं उनके सानिध्य में रहता हूं। उनकी आध्यात्मिक तथा लोकोपकार दिनचर्या से परिचित हूं इसलिए मैं यह बडी ईमानदारी के साथ गर्व से कह सकता हूं कि महान् शिक्षाविद् प्रो.अच्युत सामंत जीवन-मूल्यों के यथार्थ रुप में संरक्षक तथा सच्चे मार्गदर्शक हैं।
अशोक पाण्डेय