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“ज्ञान बांटने के लिए ही होता है।ज्ञान का दान तो ब्रह्मा जी देवता,मानव और दानव को एक साथ ही दिया था लेकिन…”

-अशोक पाण्डेय

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एक समय की बात है। ब्रह्मा जी के पास देवता,मानव और दानव एकसाथ ज्ञान मांगने के लिए गये। ब्रह्मा जी की जुबानी से “द” निकला जिसे देवता ने दमन के रूप में ग्रहण किया।मानव ने दान के रूप में ग्रहण किया और दानव ने दंभ के रूप में अपना लिया। मान्यवर,ज्ञान का शुभारंभ आपके लिए विद्या का दान,धन का दान, प्रेम का दान, करुणा का दान और सहानुभूति का दान ही श्रेयस्कर है।
-अशोक पाण्डेय

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