एक कहावत है- “अपना हाथ, जगन्नाथ।”-मैं इस विचार से पूर्णतः सहमत हूं क्योंकि अपने हाथ की ताकत से देश का किसान कृषि के माध्यम से देश को चलाता है।अपने हाथ की शक्ति से हम स्वावलंबी बनते हैं। जीवन में सफलता का दूसरा आधार मेरी समझ से हमारा ईमान होता है। इसलिए कहा गया है कि ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है। हमें हमेशा अपना ईमान साफ रखना चाहिए। तीसरी जरूरत है भगवान जगन्नाथ का साथ जो केवल पुरुषार्थी को ही प्राप्त होता है। मान्यवर,सच मानिए, इस भौतिकवादी युग में आप सबसे पहले स्वावलंबी बनें। ईमानदार बनें और भगवान जगन्नाथ को साक्षी मानकर अपना दायित्व ईमानदारी से निभाएं, सबकुछ अच्छा ही होगा।
-अशोक पाण्डेय
