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“देना और लेना दोनों जरूरी है।”

-अशोक पाण्डेय

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ओड़िशा प्रदेश एक ऐसा प्रदेश है जहां पर मंदिरों की संख्या बहुत अधिक है। यहां के अधिकांश के इष्टदेव भगवान जगन्नाथ जी हैं जो एक नर रूप में नारायण हैं। जगत के नाथ हैं।वे प्रतिदिन देना और लेना बड़े ही कलात्मक ढंग से करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि प्रतिदिन जब बदरीनाथ में संतों, मुनियों तपस्वियों और भक्तों की संख्या बढ़ जाती है तो उनको प्रथम दर्शन देते हैं। द्वारका में जब प्रतिदिन गोपी रूपी भक्तों की संख्या बढ़ जाती है तो अपने नित्य के नवीन श्रृंगार से उनको दर्शन देकर भक्तों के गोपी रूपी भक्ति में आजीवन लीन रखते हैं। रामनाथ अर्थात् रामेश्वरम में जाकर अपने अनन्य भक्तों को चिंतामुक्त जीवन जीने का अभय वरदान देते हैं। प्रतिदिन जब सम्पूर्ण भारत में पाप बढ़ जाता है तो श्री जगन्नाथ पुरी धाम में आकर 56 प्रकार के अन्नभोग ग्रहण कर सभी का पाप-ताप हरण करते हैं। हो सके तो आप भी भारत के अन्यतम धाम पुरी अवश्य आएं और भगवान जगन्नाथ जी से लेने -देने की आध्यात्मिक कला अवश्य सीखें!
जय जगन्नाथ!
-अशोक पाण्डेय

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