-अशोक पाण्डेय
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चार महीने की योग निद्रा के उपरांत
नारायण आज के ही एकादशी के दिन जगते हैं। इसलिए आज से समस्त शुभ कार्य आरंभ हो जाते हैं। इसीलिए यह एकादशी सभी एकादशियों में श्रेष्ठ मानी जाती है। आज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन व्रत रखना तथा भगवान वासुदेव जी के नाम का स्मरण करना फलदायी होता है।आज के दिन तुलसी और शालिग्राम के शुभ विवाह की भी परम्परा है। इसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है।
-अशोक पाण्डेय
“देवोत्थान एकादशी”
