-अशोक पाण्डेय
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कभी कोई यह सोच सकता है कि नारायण/विष्णु/ जगत के नाथ/ द्वारकाधीश के पेट में भी असह्य दर्द हो सकता है? जी,यह सच है कि द्वारकाधीश श्रीकृष्ण अपने सच्चे भक्तों की परीक्षा लेने के लिए पेट दर्द से परेशान होने का बहाना बनाए और उसके इलाज का तरीका भी बताए कि जब उनके किसी अनन्य भक्त के पांव का रज जैसे ही वे अपने मस्तक पर लगाएंगे वे तुरंत स्वस्थ हो जाएंगे। द्वारकाधीश की सभी पटरानियां, नारद जी और अक्रूर जी जब ऐसा नहीं कर सके तो गोकुल की गोपी के चरण रज से द्वारकाधीश पेट के दर्द से ठीक हुए । उनका यह संदेश हमसब के लिए यह है कि उनकी भक्ति हमसब अटूट भाव से करें!
-अशोक पाण्डेय