भुवनेश्वरः16 दिसंबरःअशोक पाण्डेयः
नव वर्षः2026 की मंगल कामना हेतु स्थानीय,एन-2-218,सत्संगभवन.आईआरसी विलेज में 16 दिसंबर को सुबहः9.00 बजे स्वामी व्यासानंदजी महाराज,ऋषिकेश द्वारा एक दिवसीय सत्संग ज्ञान-यज्ञ आयोजित किया गया जिसमें अनेक सत्संगीगण उपस्थित होकर स्वामी जी का सारगर्भित व जीवनोपयोगी प्रवचन सुने।स्वामीजी का स्वागत आयोजन समिति की ओर से अशोक पाण्डेय ने किया। श्री पाण्डेय ने बताया कि स्वामी लगातार पांच वर्षों से दिसंबर महीने में भुवनेश्वर आते हैं और अपने एक दिवसीय प्रवचन में सत्संग महिमा को रेखांकित करते हैं।व्यासपीठ पर स्वामीजी का स्वागत सीए अनिल अग्रवाल,उनकी पत्नी श्रीमती ऋतु अग्रवाल तथा गिरधारी हलान आदि ने किया। लगभग डेढ़ घण्डे के प्रवचन में स्वामी जी ने बताया कि मनुष्य जब अपनी मां के गर्व में आता है तो भगवान उसे श्रीराम नाम के भजन का मंत्र अंकुरित कर देते हैं जिसके परिणाम स्वरुप वह अपनी दिनचर्या में सत्संग में बैठकर श्रीराम नाम संकीर्तन को अपना लेता है। स्वामीजी ने यह भी बताया कि एक मनुष्य को पुनः मनुष्य की योनि में जन्म लेने के लिए लगभग पवने दो अरब साल बाद ही पुनः मौका भगवान देते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि मनुष्य के पास एक ही धन है जो उसके साथ जाता है और वह है भगवान का भजन रूपी धन।यह धन भक्त को आजीवन साथ देता है। उन्होंने आज की भारतीय सभ्यता पर पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव का उल्लेख करते हुए यह बताया कि आदमी जब अस्सी साल का हो जाता है फिर भी उसको अपने बाल-बच्चे,उसके अपने बैंक खाते का नाम अवश्य याद रहता है लेकिन भगवान श्रीराम के नाम का स्मरण उसे बिल्कुल ही नहीं रहता है।गौरतलब है कि व्यासानंदजी ने अपने सद्गुरु महर्षि मेंहीं के नाम का स्मरण करते हुए भक्त-जीवन में सद्गुरु की महिमा को भी स्पष्ट किया।उन्होंने अपने सारगर्भित वक्तव्य की पुष्टि श्रीमद् भागवत महापुराण और गोस्वामी तुलसीकृत श्रीरामचरित मानस आदि प्रसंगों से की।आयोजित सत्संग में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। अंत में सबों ने फल प्रसाद के साथ अल्पाहार लिया।
अशोक पाण्डेय
नव वर्षः2026 की मंगल कामना हेतु भुवनेश्वर में स्वामी व्यासानंदजी महाराज,ऋषिकेश द्वारा एक दिवसीय सत्संग ज्ञान-यज्ञ आयोजित








