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निःस्वार्थ समाजसेविका स्वर्गीया नीलिमारानी सामंत का पांचवां श्राद्ध दिवस मनाया गया

भुवनेश्वरःदो अगस्तःअशोक पाण्डेयः
02अगस्त को कीट-कीस के प्राणप्रतिष्ठाता तथा कंधमाल लोकसभा सांसद प्रोफेसर अच्युत सामंत की स्वर्गीया मां निःस्वार्थ समाजसेविका स्वर्गीया नीलिमारानी सामंत का पांचवां श्राद्ध दिवस कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखकर भुवनेश्वर तथा उनके पैतृक गांव अविभाजित कटक जिले के स्मार्ट विलेज कलराबंक में मनाया गया। अवसर पर भुवनेश्वर तथा कलराबंक में उनकी प्रस्तर की मूर्ति पर माल्यार्पणकर, उनको श्राद्ध अर्पणकर, ब्राह्मणों को श्रद्धासहित भोजनकराकर तथा दान-दक्षिणा देकर मनाया गया।अपनी प्रतिक्रिया में प्रोफेसर अच्युत सामंत ने अपनी स्वर्गीया मां नीलिमारानी सामंत को एक निःस्वार्थ समाजसेविका स्वर्गीया नीलिमारानी सामंत उनके असाधारण कामयाबी बताया। उनके जीवन की वास्तविक प्रेरणा बताया। उन्होंने यह भी बताया कि जब वे मात्र चार साल के थे उसी वक्त उनके पिताजी अनादि चरण सामंत का 19मार्च,1969 को एक रेल दुर्घना में असामयिक निधन हो गया।प्रोफेसर अच्युत सामंत की विधवा मां के सामने उनके अपने जीवनयापन के साथ-साथ उनके तीन बेटे तथा चार बेटियों के किसी प्रकार से लालन-पालन,भरण-पोषण तथा शिक्षा प्रदान करने की समस्या थी। अपने गांव की झोपडी में ऊपर से कोई छत भी नहीं थी। वह झोपडी सांपों का बसेरा था। प्रोफेसर सामंत की माताजी नीलिमारानी सामंत अपने जीवन की प्रतिकूल आर्थिक परिस्थितियों में दूसरों के घरों में चौका-बर्तनकर,गन्ने से गुड तैयारकर तथा सब्जी उगाकर अपने साथ-साथ अपनी सात संतानों की परवरिश की। पढा-लिखाकर उन्होंने स्वावलंबी बनाया।उनके तीन बेटों में एक बेटा कीट-कीस के प्राणप्रतिष्ठाता तथा कंधमाल लोकसभा सांसद प्रोफेसर अच्युत सामंत हैं जो आज विश्व के ऐसे महान शिक्षाविद् हैं जिसके यथार्थ सरल-मृदुल-आत्मीय व्यक्तित्व के सामने दुनिया सलाम करती है। उनको विश्व का युवा समुदाय अपना आदर्श मानते हैं। गौरतलब है कि नीलिमा रानी सामंत का जन्मः 21अगस्त,1838 में हुआ तथा वे स्वर्गवासी हुईं 02अगस्त,2016 को जिनके विषय में अंग्रेजी में एक पुस्तकः नीलिमारानी सामंतःमाई मदर, माई हीरो लिखकर उनको अपनी ओर से सच्ची श्रद्धांजलि दी है जिसे आज 02अगस्त को पूरा विश्व याद कर रहा है और उनके पांचवें श्राद्ध दिवस पर अपनी नम आंखों से श्रद्धा-सुमन अर्पित करता है।
अशोक पाण्डेय

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