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“परीक्षा”

: ‌‌अशोक पाण्डेय
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एक दानवीर राजा था।उसके राज्य में एक ऐसा ब्राह्मण था जो प्रतिदिन भिक्षा मांगकर खाता था। उसकी पत्नी भी सदाचार जीवन संतोष के साथ व्यतीत करती थी। राजा ने जब ब्राह्मण के विषय में सुना तो वेश बदलकर उस ब्राह्मण की झोपड़ी में गया और दान में चावल के साथ हीरे-जवाहरात आदि मिलाकर दे दिया। इस प्रकार लगातार दो सप्ताह तक राजा दान करता रहा लेकिन हर बार ब्राह्मण की पत्नी हीरे-जवाहरात को कंकंड़ पत्थर समझकर फेंक देती थी। अगले दिन राजा जब ब्राह्मण की झोपड़ी में गया तो देखा कि उसके सभी हीरे-जवाहरात ब्राह्मणी ने झोपड़ी के किनारे फेंक दिया है। राजा ने पूछा कि मैंने आप दोनों के लिए हीरे-जवाहरात दिए और आपने उसे फेंक दिया है। तब ब्राह्मण और ब्राह्मणी ने बताया कि हे दानवीर राजन, पृथ्वी पर तीन की ही आवश्यकता है:जल,अन्न और मधुर वाणी। राजा प्रसन्न हुआ और ब्राह्मणी और ब्राह्मण को अपने राज्य के पुरोहितों में शामिल कर लिया।
-अशोक पाण्डेय

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