-अशोक पाण्डेय
भारतवर्ष में हिन्दुओं द्वारा मनाये जानेवाले सभी पर्व-त्यौहारों की दृष्टि से हिन्दी के बारह महीनों में क्रम से आठवां महीना अर्थात् कार्तिक माह पवित्रतमहोता है जिसके प्रत्येक दिवस पर कोई न कोई पर्व-त्यौहार अवश्य मनाया जाता है। कार्तिक मास में प्रतिदिन गंगा स्नान का भी लौकिक महत्त्व है।पवित्र गंगा स्नान के उपरांत पूजा-पाठ,भगवान विष्णु -नारायण कथाश्रवण तथा दान-पुण्य का उससे भी कहीं अधिक महत्त्व होता है।
लौकिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास प्रकृति तथा मानव के घनिष्ठतम संबंधों का परिचायक है जिसमें सभी प्रकार की शुद्धता,साफ-सफाई तथा पवित्रता आदि का विशिष्ट महत्त्व होता है। वास्तव में यह माह प्रकृति की सुंदरता को निखारता है और मानव को प्रकृति के सानिध्य में रहने का पावन संदेश देता है।पूरे भारतवर्ष में कार्तिक माह में भगवान विष्णु तथा भगवान श्रीकृष्ण की पूजा विशेष रुप से होती है।ओड़िशा प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी श्रीपुरी धाम में तो कार्तिक माह के प्रति दिन सुबह में महोदधि पवित्र स्नान,पुष्करणी पवित्र स्नान तथा भगवान जगन्नाथ के दर्शन कर उनकी कथा श्रवण तथा दान-पुण्य का सामाजिक और लौकिक महत्त्व स्कन्द पुराण में वर्णित है। इस मास को दामोदर मास भी कहा जाता है जब श्रीहरि विष्णु लंबे विश्राम के बाद इसी माह में चिर निद्रा से जागते हैं। इस महीने के प्रमुख पर्व-त्यौहारों में करवा चौथ,रम्भा एकादशी, गोवत्स द्वादशी,धनतेरस,दीवाली,गोवर्धन पूजा, भैया दूज,नरक चतुर्रदशी,अन्नकूट,चार दिवसीय छठ महापर्व,देवोत्थान एकादशी,गोपाष्टमी,आंवला नवमी,तुलसी विवाह, भीष्म पंचक,बैकुण्ठ चतुर्दशी और कार्तिक पूर्णिमा जैसे कई महत्वपूर्ण पर्व-त्यौहार मनाए जाते हैं।इस महीने में ठण्ड पड़ती है इसीलिए इस माह को जाड़े का माह कहा जाता है जिसमें भोर में जगने का महत्त्व विद्यार्थी,साधु-संत-महात्मा,बडे-बुजुर्ग तथा किसान के लिए अधिक होता है। इस माह में लोग आकाशदीप जलाते हैं।
ओड़िशा प्रदेश के श्री पुरी धाम में कार्तिक माह का लौकिक महात्म्यः
ओड़िशा में वैसे तो घर-घर और गांव-गांव में कार्तिक माह में पवित्र स्नान करने तथा जगन्नाथ भगवान की कथा श्रवण सुनने की परम्परा देखी जाती है।श्रीजगन्नाथ सेवायत परम्परानुसार कार्तिक महात्म्य का सुंदर उल्लेख ओड़िया के धर्मग्रंथों में मिलता है।इसीलिए ओडिशा में इसे धर्ममास कहा जाता है। श्री जगन्नाथ-सेवायत परम्परानुसार कार्तिक व्रत पालन अधिकतर विधवाएं ही श्रीक्षेत्र(पुरी धाम) में पूरे मास तक निवासकर करतीं हैं। वे प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में जगकर महोदधि तथा पंचतीर्थ पुष्करिणी पवित्र स्नानकर श्रीमंदिर जाकर महाप्रभु जगन्नाथ भगवान के प्रथम दर्शन करतीं हैं। उसके उपरांत वे कार्तिक महात्म्य पुराण कथा का शुद्ध मन से श्रवण करतीं हैं। उनके लिए श्रीमंदिर प्रशासन की ओर से महाप्रसाद आदि की विशेष व्यवस्था फ्री होती है।ओड़िया मान्यातानुसार एक समय में दक्षिण ओडिशा में ही सिर्फ कार्तिक मास स्नान तथा श्रीजगन्नाथ कथा एवं पुराण कथा श्रवण का प्रचलन सबसे पहले आरंभ हुआ था लेकिन आज यह खुशी की बात है कि पूरे ओडिशा में पवित्र स्नान तथा कार्तिक महात्म्य कथा श्रवण को बहुत शुभ माना जाता है। मंगलकारी माना जाता है।फलदायी माना जाता है।जीवनोपयोगी माना जाता है।मोक्षदायी माना जाता है। इस माह में ओडिशा के घर-घर में भोर में तुलसी के पौधे के समीप दीया जलाकर पूजा की जाती है।भगवान विष्णु के साक्षात स्वरूप भगवान शालिग्राम की पूजा की जाती है तथा श्रीकृष्ण-तुलसी विवाह अतिमोहक रुप में यहां के प्रत्येक वैष्णव देवालयों में आयोजित होता है। है।श्रीजगन्नाथ धाम पुरी के सभी मंदिरों तथा मठों में भी कार्तिक महात्म्य कथा होती है जिसके श्रवण आदि का विशेष महत्त्व देखने को मिलता है। कार्तिक मास में गरीबों और जरूरतमंदों को खाना खिलाने का पुरी धाम में आध्यात्मिक महत्त्व माना जाता है।कार्तिक मास में अन्न, ऊनी वस्त्र, तिल, दीपक और आंवला का दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है।श्रीमंदिर पुरी में कार्तिक मास में भगवान जगन्नाथ को महादीप दान का भी विशेष महत्त्व देखने को मिलता है। आकाशदीप लगाने का भी प्रचलन है।
गौरतलब है कि ओडिशा प्रदेश सरकार की ओर से पुरी श्रीमंदिर परिक्रमा कॉरीडेर बन जाने से तथा श्रीमंदिर प्रांगण में कार्तिक व्रत कथा श्रवण आदि की विशेष व्यवस्था श्रीमंदिर प्रशासन पुरी की ओर से किये जाने के उपरांत इस मास का महत्त्व सबसे अधिक बढ गया है।वर्षः2024 के कार्तिक महात्म्य को ध्यान में रखकर श्रीमंदिर प्रशासन पुरी की ओर से श्रीमंदिर में दर्शन,भजन-संकीर्तन तथा स्कन्द पुराण कथा श्रवण आदि का अनेकानेक व्यवस्थाएं की जा चुकीं हैं।
-अशोक पाण्डेय