तीनों रथ शाम होते-होते गुण्डीचा मंदिर के सामने पंहुचे
पुरी 20जून ,अशोक पाण्डेय:
आज आषाढ़ शुक्ल द्वितीया की पावन तिथि पर भारत के अन्यतम धाम पुरी में भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा पूरे विधि विधान के साथ विशालतम आकार में बड़दाण्ड पर निकाली गई।अनुष्ठित रथयात्रा में लगभग 10 लाख से भी अधिक श्रद्धालु भक्तों ने भीषण गर्मी के वावजूद हिस्सा लिया और शाम होते-होते तीनों रथों तालध्वज, देवदलन और नंदिघोष को अपने हाथों से खींचकर गुण्डीचा मंदिर के ठीक सामने खड़ा कर दिया। आयोजित पहण्डी और छेरापहंरा निर्धारित समय से पूर्व ही संपन्न हो गया। गौरतलब है कि वैश्विक महामारी कोरोना के बाद यह पहली ऐसी रथ यात्रा रही जिसमें हर प्रकार से गर्मी के बावजूद भी लोगों ने आराम से भगवान जगन्नाथ के दर्शन उनके नंदिघोष रथ पर किया। रथारूढ़ चतुर्धा विग्रहों के दर्शनकर ,अपना आत्मनिवेदन करने के उपरांत श्री जगन्नाथ जी आदि सेवक पुरी के गजपति महाराजि श्री दिव्य सिंहदेवजी ने तीनों रथों पर छेरापहंरा किया। पहण्डी के समय बड़दाण्ड पर ओडिशा का परम्परागत बनाटी रणकौशल प्रदर्शन,गोट पुअ नृत्य, ओडिशी नृत्य गायन,घंटमर्दन आदि का प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा।बड़दाण्ड पर अल्पना और रंगोली आदि की सुंदर छटा दीखी। देश-विदेश से आए हजारों नर्तक व नर्तकियों एवं भक्तों ने प्रभु का रथ पर स्वागत किया। सबसे पहले 3 बजकर 4 मिनट पर बलभद्र जी के तालध्वज रथ को खींचने की प्रक्रिया आरंभ हुई । रथ की रस्सी को अपने हाथों से स्पर्श करने एवं रथों को खींचने को लेकर सुबह में ही बड़दाण्ड पर भक्तों का जन सैलाब उमड़ पड़ा। बड़दाण्ड को जोड़ने वाले तमाम मार्ग से भक्तों का हुजूम जय जगननाथ का जयकारा लगाने के साथ नृत्य गायन करते हुए बड़दाण्ड पर पहुंचने को आतुर दीखे। मिली जानकारी के मुताबिक 10 लाख से अधिक भक्तों का समागम इस वर्ष जगन्नाथ धाम की रथयात्रा में हुआ है। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, ओडिशा के राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल, केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव आदि ने भी रथारुढ़ भगवान जगन्नाथ के दर्शन किए। रथयात्रा की अपनी अपनी शुभकामनाएं दीं। पूर्वनिर्धारित रीति नीति के अनुसार मंगल आरती, सूर्य पूजा, द्वारपाल पूजा, गोपाल बल्लभ यानी खिचड़ी भोग जैसे अनुष्ठानों के पूरा होने के बाद सुबह रथ की स्थापना पूरी हुई। इसके बाद सुबह करीब 9 बजे पहण्डी विजय नीति शुरू हुई। एक के बाद एक करके चतुर्धा देवविग्रहों को पहण्डी विजय कराकर और लाकर उनके रथों पर आरुड़ किया गया। सबसे पहले सुदर्शन भगवान इसके बाद देवी सुभद्रा को देवदलन रथ पर, फिर प्रभु बलभद्र जी को तालध्वज रथ पर तथा अंत में भगवान जगन्नाथ जी को पहण्डी बिजय में लाकर नंदिघोष रथ पर आरूढ़ किया गया एवं समस्त रीति -नीति सम्पन्न की गई। इसके बाद रथ पर पहुंचे पुरी गोवर्धन पीठ के 145 पीठाधीश्वर जगत गुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज और चतुर्धा देवविग्रहों को अपना आत्मनिवेदन प्रस्तुतकर उनके दर्शन किए। अपने राजमहल श्रीनाहर से पालकी में पहुंचे गजपति महाराजा दिव्य सिंहदेवजी और तीनों रथों पर छेरापहंरा किए। तीनों रथ गुण्डीचा मंदिर पहुंचे। पूरी और सुरक्षा के बीच इस वर्ष की पुरी रथयात्रा संपन्न हो गई।
अशोक पाण्डेय