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पुरुषोत्तम मास में भगवान शिव ही शिव-भक्तों के जीवन में सुख और कल्याण के मूल स्त्रोत हैं

– अशोक पाण्डेय
सावन मास आरंभ हो चुका है। इस वर्ष यह मास भगवान श्रीनारायण के नाम पर कुल दो महीने का पुरुषोत्तम मास है। ओडिशा की आध्यत्मिक तथा सांस्कृतिक नगरी श्रीपुरी धाम को पुरुषोत्तम क्षेत्र कहा जाता है जहां पर पुरुषोत्तम मास में महोदधि महास्नान तथा वहां के भगवान लोकनाथ मंदिर में जलाभिषेक का विशेष महत्त्व है। पुरुषोत्तम मास में प्रत्येक सनातनी को अपने-अपने जीवन में स्थाई सुख और कल्याण के लिए भगवान शिव की आराधना पूरी निष्ठा के साथ अवश्य करनी चाहिए। इस पुरुषोत्तम मास में शिवलिंग की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ करनी चाहिए क्योंकि भगवान शिव स्वयं में मंगल स्वरुप हैं,मंगलदाता हैं।वे निर्विकार हैं।हमारे शरीर में प्रतिपल उसी भोलेनाथ का,लोकनाथ का और महाप्रभु लिंगराज का स्पंदन है।शक्ति का स्पंदन है। हमारे पुराणों में पुरुषोत्तम मास में आदिदेव भगवान शिव और उनकी शक्ति भगवती शिवा की आराधना का उल्लेख आया है। जिसप्रकार चन्द्रमा और उसकी चांदनी में कोई अंतर नहीं है ठीक उसी प्रकार शिव और शिवा में कोई भेद नहीं है। कुछ शैव भक्तों का यह भी कहना है कि शिव बिना शक्ति तथा शिवा के बिना शिव सुशोभित हो ही नहीं सकते हैं क्योंकि शिव और शक्ति दोनों एक हैं।ओडिशा में पुरी धाम के भगवान लोकनाथ तथा भुवनेश्वर के भगवान महाप्रभु लिंगराज स्वयं में महामृत्युंजय भी हैं,स्वयंभू भी हैं और वे ही कलियुग के महाकाल हैं। यह भी सर्वविदित है कि जहां पर सत्य नहीं है वहां पर शिव नहीं हैं।सत्य और सुंदर के मध्य ही विराजमान हैं भगवान शिव। भगवान शिव की जटाओं से देवी गंगा निकली हैं।शिव को संतुलन से अधिक सत्य से प्रेम है।भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम 14वर्ष के वनवास की सजा स्वीकरते हैं उसी शिवशक्ति के बल पर। भगवान श्रीकृष्ण गांधारी के शाप को भुगते हैं सिर्फ भगवान शिव की कृपा से।कलियुग में और विशेषकर पुरुषोत्तम मास में भगवान शिव की अपनी दृष्टि ही प्रत्येक शिव-भक्त की दृष्टि है।इसलिए हमसब अपने-अपने व्यक्तिगत जीवन में सत्य-असत्य का आकलन अपने-अपने ढंग से और अपने-अपने निजी विचार से करते हैं और हमें लगता है कि इस संबंध में सिर्फ हमारा ही विचार सही है और दूसरों का गलत है।यह शाश्वत सत्य है कि जिसप्रकार कालखण्ड के 12 भाग हैं,12 महीने हैं ठीक उसीप्रकार भगवान लोकनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग भी हैं जिसमें मध्यप्रदेश के उज्जैन महाकाल ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्त्व है पुरुषोत्तम मास में।समस्त शिवभक्त सावन मास में शिवलिंग के अभिषेक के उपरांत इत्र, कुंकुम, गुलाल, वस्त्र, धूप,दीप,नैवेद्य आदि के साथ शिवलिंग का 16श्रृंगार अवश्य करें।यह भी ध्यान रहे कि पुरुषोत्तम मास में साबर मंत्र का जाप प्रत्येक शिवभक्त पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ अवश्य करे क्योंकि यह महामंत्र कलियुग में तथा विशेषकर पुरुषोत्तम मास में अमृत के समान हैं जो इस जगत के आदिदेव और आदिगुरु शिव ही पिला सकते हैं।
-अशोक पाण्डेय

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