-अशोक पाण्डेय
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जगत के नाथ की लीला अपरम्पार है।”गज़ब रचा खिलौना माटी का!” राजा-रंक, पण्डित- पुजारी, ज्ञानी -अज्ञानी,साधु -चोर,व्यापारी -नौकरशाह, शिक्षक- छात्र, राजा -प्रजा, अधिवक्ता -मुजरिम, भामाशाह -याचक, विक्रेता -खरीदार, जमींदार -किसान, मालिक -नौकर सभी में करतार जगन्नाथ जी किसी न किसी प्रकार का अव्वल गुण देकर भेजे हैं। आगामी 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया है। आपसे मेरा यह विनम्र निवेदन है कि उस दिन अपनी अव्वल वाली अमानत को ठीक करें। कोई भी ऐसा काम न करें जिससे आपका अहित हो, आपके परिवार का अहित हो न ही भारत और भारतीयता का अहित हो। सोच-समझकर सकारात्मक बनाएं! निंदा रस से कुछ भी लाभ नहीं होगा। जनहित, लोकहित और राष्ट्रहित में अव्वल बनें!
-अशोक पाण्डेय