Header Ad

Categories

  • No categories

Most Viewed

“प्रभु -प्रसाद क्या है?”

-अशोक पाण्डेय

———————-
यह संसार प्रभु का है। इस संसार की सारी वस्तुएं प्रभु की हैं। लेकिन उन पर अपना अधिकार मान लेना ही समस्त दुर्गुणों का मूल कारण है। और उसको मिटाने के लिए सबसे पहले प्रत्येक व्यक्ति के अंदर प्रसाद- बुद्धि का आना बहुत जरूरी है। यही बात अशोक वाटिका में माता सीता ने हनुमान जी से कही कि इस संसार- वाटिका में एक से बढ़कर एक विषैले सर्प हैं, दुराचारी हैं, दुष्ट व्यक्ति हैं जो किसी को फल खाने नहीं देते हैं,सभी को तृप्त होने नहीं देते हैं।तब मां सीता से हनुमान जी ने कहा कि अगर मां -प्रसाद रूपी अनुमति मिल जाय तो वे इसका नाश कर सकते हैं। माता सीता ने हनुमान को तत्काल आज्ञा -प्रसाद दी। परिणाम सभी के सामने है। ठीक इसी प्रकार का प्रभु -प्रसाद श्रीराम ने भरतलाल को अपनी चरण पादुका- प्रसाद के रूप में दिया। अति संक्षेप में,
प्रभु प्रसाद सुचि सुभग सुवासा।
सादर जासु लहइ नित नासा।।
तुम्हहि निवेदित भोजन करहीं।
प्रभु -प्रसाद पट भूषन धरहीं।।
-अशोक पाण्डेय

    Leave Your Comment

    Your email address will not be published.*

    Forgot Password